Temple Engineering: आईआईटी जैसे टॉप संस्थानों में पढ़ाया जाएगा यह कोर्स? जानें क्या है सच!

  • अयोध्या नगरी में निर्माण मंदिर परिसर में दो दर्जन से अधिक प्रमुख संस्थानों ने अपना योगदान दिया.
  • राम जन्मभूमि मंदिर का दस्तावेजीकरण किया जाता है तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी साबित होगा।
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Temple Engineering in india: अयोध्या में बनकर तैयार हुए भव्य राम मंदिर परिसर को लेकर आईआईटी कानपुर ने मंदिर ट्रस्ट समिति को इसकी निर्माण तकनीकी का दस्तावेजीकरण करने का सुझाव दिया है। जिसके पीछे भारतीय आईआईटी संस्थानों और ख़ासकर कानपुर आईआईटी का बड़ा प्लान है।

दरअसल कानपुर आईआईटी का मानना है, 2020 के बाद मंदिर निर्माण के लिए देश के अनेक विद्वानों और इंजीनियर की मेहनत की बदौलत तैयार मंदिर में कई प्रकार की चुनौतिया रिसर्च और तकनीकी के बाद परिसर तैयार किया गया है।

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ऐसे में इस पूरी तकनीकी और निर्माण प्रकिया को लिपिबद्ध और दस्तावेजीकरण कर लिया जाता है,तो इसका उपयोग आने वाली पीढ़ी को निर्माण प्रकिया जानने के लिए आ सकती है।

उक्त पूरी बातों की जानकारी देते हुए रामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र के भवन निर्माण समिति के चेयरमैन और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रह चुके नृपेंद्र मिश्र ने कहा, देश की आईआईटी संस्थान ख़ासकर कानपुर आईआईटी ने इसमें रुचि दिखाते हुए मंदिर निर्माण में देश के वैज्ञानिकों और कुशल इंजीनियरों की मेहनत और योगदान को आने वाली पीढ़ी को दिखाने के लिए और भवन निर्माण की तकनीकी को भविष्य में उपयोग में लेने की बात कही है।

Temple Engineering in india: दो दर्जनों से अधिक देश के प्रमुख संस्थानों का सहयोग

आपकों बता दे, अयोध्या नगरी में निर्माण मंदिर में दो दर्जन से अधिक प्रमुख संस्थानों ने अपना योगदान दिया, जिसमें प्रमुख रूप से इसरो सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईटीआई बॉम्बे, आईटीआई गुवाहाटी, आईटीआई रुड़की, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी दिल्ली राष्ट्रीय भू भौतिकी संस्थान,आईआईटी चन्नेई,आईआईटी सूरत,टाटा इंजिनियरिंग,लार्सन एंड ट्रूबो जैसे प्रमुख संस्थानों के नाम है।

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ऐसे में इन सभी विद्वानों और इंजीनियर समुदाय का ज्ञान और तकनीकी का दस्तावेजीकरण होता है, तो यह सिविल इंजिनियरिंग की फील्ड में काफ़ी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

गौरतलब है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ऐसी तकनीकी शिक्षा केंद्र की बात में जोर दिया है, जिसमें मंदिर निर्माण या परिसर डिजाइन की तकनीकी की शिक्षा प्रदान की जाए,राम मंदिर निर्माण के दौरान प्राचीन मंदिरों के निर्माण डिजाइन या दस्तावेज न होने की स्थिति में शुरुआत में परेशानी का सामना करना पड़ा था।

ऐसे में राम जन्मभूमि मंदिर का दस्तावेजीकरण किया जाता है तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी साबित होगा।

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