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दिल्ली सरकार ने DDA से की 101 स्कूलों के जमीन आवंटन रद्द करने की सिफारिश

दिल्ली सरकार ने DDA से की 101 स्कूलों के जमीन आवंटन रद्द करने की सिफारिश

  • दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से की गई
  • सिफारिश
  • 100 से अधिक निजी स्कूलों के जमीन आवंटन रद्द किए जाने का मामला
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Delhi 101 Private Schools Land Allotment Will Be Cancelled?: दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 101 निजी स्कूलों को दी गई भूमि का आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है। दिल्ली सरकार की ओर से इस कार्यवाई के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से सिफारिश की गई है।

इतना ही नहीं बल्कि सरकार की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा भी दाखिल किया गया है, जिसमें संबंधित संस्थानों पर उचित करवाई करने की बात कही गई है। यह जानकारी हिंदुस्तान में प्रकाशित की गई एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है।

Delhi 101 Private Schools Land Allotment Row

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से इस मामले में जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच के समक्ष हलफनामा दायर किया गया। इसमें सरकार ने यह जानकारी साझा करी है कि इसने  दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए से 100 अधिक स्कूलों को किए गए जमीन आवंटन को रद्द करने की सिफारिश की है। इस आवंटन को रद्द किए जाने की अपील के पीछे ‘नियमों का पालन’ ना करने को कारण बताया गया है।

क्या हैं आरोप?

सरकार के हलफनामे में जिन नियमों की अवहेलना की बात की गई है, उसमें मुख्य रूप से स्कूलों में कम आय वर्ग यानी ‘EWS’ श्रेणी के छात्रों के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों से संबंधित नियमों का पालन ना किए जाने का जिक्र है।

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सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, सरकार ने हलफनामे में अदालत को यह भी बताया कि डीडीए से 13 दिसंबर 2023 को इस लिस्ट में शामिल लगभग 62 स्कूलों के भूमि आवंटनों को रद्द करने की सिफारिश की थी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने बीती 12 जनवरी 2024 को 39 स्कूलों के संबंध में भी डीडीए को एक पत्र लिखा था।

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क्या है पूरा मामला?

असल इस मामले की शुरुआत हुई थी, साल 2013 हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका के साथ, जिसे एक वरिष्ठ अधिवक्ता खगेश झा और अधिवक्ता शिखा शर्मा बग्गा के द्वारा दायर किया गया था। यह याचिका लगभग 350 निजी स्कूलों के खिलाफ थी, जिन पर ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत निर्धारित 25 प्रतिशत छात्रों को दाखिला नहीं देने जैसे आरोप लगाए गए थे।

यह तब जब स्कूलों से तय सभी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने की शर्त के साथ उन्हें महँगी जमीनें सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाई गई थीं। ऐसे में नियमों की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूलों के जमीन आवंटन रद्द करने की माँग की गई थी।

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