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अरुणाचल प्रदेश में मिली मेढकों की तीन नई प्रजातियाँ

अरुणाचल प्रदेश में मिली मेढकों की तीन नई प्रजातियाँ

  • नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान में मेंढको की तीन नई प्रजातियों की खोज
  • भारत में अधिकांश उभयचर अब तक पश्चिमी घाट से खोजें गए
Three new species of frogs found in Arunachal Pradesh

Three new species of frogs found in Arunachal Pradesh: भारत के उत्तरपूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थित नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान में मेंढको की तीन नई प्रजातियों की खोज हुई है। खोज को लेकर दावा है, यह मेंढकों की प्रजाति एक अनोखा परिदृश्य और एक नए जैविक वर्गीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।

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दरअसल भारत और म्यांमार के बीच स्थित नामदाफा को भारत में जैव विविधता में सबसे धनी क्षेत्रों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो कि दुनिया का सबसे उत्तरी तराई सदाबहार वर्षावन है। 100 मीटर से 5000 मीटर की विविधता ऊंचाई ढाल वाला क्षेत्र जैव विविधता के लिए जाना जाता है।

ग्रैसिक्सलस पैटकाइएन्सिस,अल्कलस फोंटिनालिस, निदिराना नोआदिहिंग नई प्रजाति के मेंढकों के नाम

इन्ही खूबियों के चलते यह पाए गए इन मेढ़को में विशेष खासियत मौजूद है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रमुख शोधकर्ता अभिजीत दास ने (Three new species of frogs found in Arunachal Pradesh) इन नए मेंढकों की प्रजाति की जानकारी दी जिसमें पहली खोज,ग्रैसिक्सलस पैटकाइएन्सिस (Gracixalus patkaiensis) एक हरे रंग का मेंढक है जो लगभग पारदर्शी है, जेली जैसा दिखता है।

लंबाई में लगभग 2.2 सेमी का एक छोटा मेंढक, यह सदाबहार जंगल की मोटी अंडरस्टोरी पर कब्जा कर लेता है। दास ने बताया कि एक अलग कीट जैसी आवाज के साथ, मेंढक को आसपास के कई झींगुरो में से एक माना जा सकता है।

दूसरी प्रजाति का मेढ़क इंडोनेशिया से जीनस की अंतिम प्रजाति, ए राजा की खोज के एक दशक से अधिक समय बाद अल्कलस फोंटिनालिस (Alcalus fontinalis) नामक दूसरे मेंढक की खोज से जीनस अल्कलस में प्रजातियों की कुल संख्या छह हो गई है।

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अभिजीत दास ने इसे एक भूरे रंग का बौना मेंढक बताया, जो एक अद्वितीय ट्रिकल जैसी आवाज निकलता है और वनस्पति के नीचे तेजी से बहने वाली धाराओं या ब्रूक्स में रहता है।

तीसरा और बिल्कुल नई प्रजाति का यह मेंढक दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है और इसका नाम नामदाफा की जीवन रेखा नोआ-दिहिंग नदी के नाम पर रखा गया है। पिछली खोजों की तरह जहां वैज्ञानिकों ने कैनोपी, अंडरस्टोरी और ब्रूक्स जैसे अनोखे आवासों का पता लगाया, निदिराना नोआदिहिंग (Nidirana noadihing) नामक इस “संगीत मेंढक” को इस क्षेत्र में घुटने तक दलदल से खोजा गया है।

गौरतलब है, भारत में विज्ञान में अधिकांश उभयचर खोजें अब तक पश्चिमी घाट से की गई हैं, जो देश में एक और जैव विविधता हॉटस्पॉट है। भारत के वैज्ञानिक के. वी. गुरुराजा, जिन्होंने पश्चिमी घाट से 23 मेंढक प्रजातियों की खोज अब तक की है।

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