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रूस की ‘ऑयल शिप’ भारत से बना रहीं दूरी, पेमेंट संबंधी मुद्दे हैं वजह – रिपोर्ट

रूस की ‘ऑयल शिप’ भारत से बना रहीं दूरी, पेमेंट संबंधी मुद्दे हैं वजह – रिपोर्ट

  • तेल भुगतान से संबंधी मुद्दों के कारण रुस के ऑयल कार्गों भारत से बना रहे दूरी
  • अनुमान के मुताबिक, चीन दिखा रहा है रुस के सोकोल ऑयल शिपों में दिलचस्पी
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Russia Oil Ships Are Moving Away From India: पिछले कुछ समय से ‘कच्चे तेल’ (क्रूड ऑयल) के मामले में भारत रूस के सबसे बड़े ग्राहकों में शामिल हो गया है। खासकर ऐसे वक्त में जब रुस-यूक्रेन युद्ध के चलते, कई पश्चिमी देशों ने रुस के साथ व्यापार बंद करने की अपील तक की है। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में भी भारत ‘रूस’ को अपना चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बनाने में कामयाब रहा है।

लेकिन हाल में सामने आई कुछ खबरें दोनों देशों की चिंताए बढ़ा सकती हैं। असल में रूस से ‘कच्चे तेल’ की ढुलाई करने वाले कई जहाज (शिप) बीतें कुछ दिनों से भारत से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि मॉस्को द्वारा पेमेंट संबंधित मुद्दों के चलते पिछले महीने से ‘ऑयल सप्लाई’ में गिरावट आई है।

Russia Oil Ships Are Moving Away From India

इस मामले से संबंधित ब्लूमबर्ग की हालिया रिपोर्ट में पोत-ट्रैकिंग डेटा के हवाले से यह बताया गया है कि रूस के सुदूर पूर्व से सोकोल (Sokol) ऑयल ले जाने वाले पाँच जहाज 7 से 10 समुद्री मील की रफ्तार से मलक्का जलडमरूमध्य (Malacca Strait) की ओर बढ़ने लग रहे हैं। इन पाँच जहाजों के नाम कुछ इस प्रकार हैं;

  1. एनएस कमांडर (NS Commander)
  2. सखालिन (Sakhalin)
  3. क्रिम्सक (Krymsk)
  4. नेलिस (Nellis)
  5. लाइटनी प्रॉस्पेक्ट (Liteyny Prospect)
 Oil Ship
Representational Image – Russia Oil Ships Are Moving Away From India

इसके अलावा सोकोल (Sokol) ऑयल ले जाने वाला रुस का एक अन्य जहाज – एनएस सेंचुरी (NS Century) अभी भी श्रीलंका के पास बताया जा रहा है। आपको बता दें लगभग 7,00,000 बैरल की ढुलाई करने में सक्षम इसी जहाज को पिछले साल अमेरिकी ट्रेजरी की ओर से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

चीन की भूमिका

रिपोर्ट में डेटा इंटेलिजेंस सर्विस प्रदाता Kpler के प्रमुख क्रूड विश्लेषक विक्टर कटोना के हवाले से यह कहा गया है कि भारत के पड़ोसी देश चीन ने अब रुस के इन सोकोल ऑयल शिपों में दिलचस्पी दिखाई है। जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि शायद रुस के यह सभी ऑयल कंटेनर/कार्गो शिप अब चीन की ओर जा रहे हैं।

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बताया जा रहा है कि यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच रूस के लिए एक महत्वपूर्ण खरीदार रहे भारत का रूस से तेल आयात दिसंबर 2023 में सबसे कम रहा। स्थानीय रिफाइनरों से जुड़े भुगतान संबंधी मुद्दों के कारण इस दौरान एक भी सोकोल कार्गो भारत नहीं पहुंचा।

रुस से तेल आयात में गिरावट?

गौर करने वाली बात ये है कि दिसंबर, 2023 में रूस से कच्चे तेल का आयात 11 महीने (जनवरी 2023) से न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। दिसंबर, 2023 में भारतीय रिफाइनरी कंपनियाँ ने रूस से रोजाना 14.8 लाख बैरल क्रूड ऑयल का आयात कर सकीं, जो नवंबर, 2023 के मुकाबले 11.6 प्रतिशत की कमी जो दर्शाता है।

यह तब है जब साल 2023 में रूस से भारत का तेल आयात सालाना तौर पर दोगुना से अधिक बढ़ते हुए 17,90,000 (1.79 मिलियन) बैरल प्रति दिन तक पहुँच गया। वहीं भारत के दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता यानी इराक से आयात 908,000 बैरल प्रति दिन रह गया, जो लगभग 11% की गिरावट बताई जा रही है।

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