Now Reading
भारत का पहला ‘शीतकालीन आर्कटिक अभियान’ शुरू, जानें क्या है मकसद?

भारत का पहला ‘शीतकालीन आर्कटिक अभियान’ शुरू, जानें क्या है मकसद?

  • इस अभियान के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की टीम 30-45 दिनों तक नि-ऑलेसंद रिसर्च स्टेशन पर रहकर रिसर्च करेगी।
  • आर्कटिक में शीतकालीन अभियान शुरू करने से भारत आर्कटिक में समय पर संचालन बढ़ाने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है.
India_s-first-_Winter-Arctic-Expedition_-begins

India’s first ‘Winter Arctic Expedition’ begins: पृथ्वी विज्ञान केंद्र मंत्री किरण रिजिजू ने आज (18 दिसंबर) को भारत के पहले शीत कालीन वैज्ञानिक अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया,चार सदस्यीय वैज्ञानिक दल 19 दिसंबर को नई दिल्ली से हिमार्दी के लिए प्रस्थान करेगा। ये टीम आर्कटिक की भीषण ठंड में अनुसंधान करेंगी।

न्यूज़North अब WhatsApp पर, सबसे तेज अपडेट्स पानें के लिए अभी जुड़ें!

भारत का रिसर्च स्टेशन नि-ऑलेसंद में स्थित है, जो कि दुनिया के सुदूर उत्तरी छोर पर एक बस्ती है। यहां भारत समेत दुनिया के 10 देशों के रिसर्च स्टेशन मौजूद हैं। साथ ही बता दे, भारत आर्कटिक में 2008 से हिमाद्रि नामक एक अनुसंधान आधार केंद्र संचालित कर रहा है, जो ज्यादातर गर्मियों (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान वैज्ञानिकों की मेजबानी करता रहा है।

India’s first ‘Winter Arctic Expedition’: माइनस 15 डिग्री सेल्सियस में वैज्ञानिक दल करेगा रिसर्च

अब भारत से रवाना वैज्ञानिकों की टीम हिमाद्रि के अनुसंधान केंद्र में -15° सेल्सियस के तापमान में आर्कटिक, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन,अंतरिक्ष के मौसम, समुद्री-बर्फ और महासागर परिसंचरण गतिशीलता (सी सर्कुलेशन डायनेमिक्स), इकोसिस्‍टम अनुकूलन आदि ऐसे कारकों की समझ बढ़ाने के लिए काम करेंगी।

अभियान के शुभारंभ के अवसर केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा  कि

“सरकार वैज्ञानिक गतिविधियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहभागिता का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आर्कटिक वैज्ञानिक, जलवायु और सामरिक महत्व का क्षेत्र है; इसलिए, हमारे वैज्ञानिकों को ग्रह पर जीवन और अस्तित्व को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।”

See Also

भारतीय वैज्ञानिकों की टीम 30-45 दिनों तक नि-ऑलेसंद रिसर्च स्टेशन पर रहकर रिसर्च करेगी

अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते समय केंद्रीय मंत्री रिजुजु ने वैज्ञानिक दल में शामिल सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया साथ ही उनकी सार्थक और सुरक्षित यात्रा की कामना की। आपको बता दे, इस अभियान के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की टीम 30-45 दिनों तक नि-ऑलेसंद रिसर्च स्टेशन पर रहकर रिसर्च करेगी। उसके बाद दूसरी टीम उसकी जगह लेगी।

गौरतलब है, आर्कटिक में शीतकालीन अभियान शुरू करने से भारत आर्कटिक में समय पर संचालन बढ़ाने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। भारत सरकार की ओर से कहा जा चुका है, सरकार रिसर्च के लिए सभी जरूरी बजट आवंटन और प्रशासनिक सपोर्ट मुहैया कराएगी और अब शीतकालीन आर्कटिक अभियान भी हर साल किए जाएंगे।

©प्रतिलिप्यधिकार (Copyright) 2014-2023 Blue Box Media Private Limited (India). सर्वाधिकार सुरक्षित.