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डॉक्टरों को सरकार का निर्देश, एंटीबायोटिक लिखते समय रखना होगा इस बात का ध्यान!

डॉक्टरों को सरकार का निर्देश, एंटीबायोटिक लिखते समय रखना होगा इस बात का ध्यान!

  • डॉक्टरों को अब पर्चे पर एंटीबायोटिक दावा लिखते समय रखना होगा कुछ अहम बातों का ध्यान
  • पर्चे पर इंडिकेशन/रीजन/जस्टिफिकेशन जैसे पहलुओं को भी स्पष्ट और अनिवार्य रूप से करना होगा शामिल
  • (Image is just for representational purpose only)
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Doctors must mention reason while prescribing anti-biotics – Govt: भारत में थोड़ा बीमार होने पर भी एंटीबायोटिक का उपोग लोगों के लिए अब एक सामान्य बात हो चुकी है। लेकिन अक्सर जानकार इसके अत्यधिक इस्तेमाल के खतरों को लेकर भी आगाह करते रहते हैं। और शायद यही कारण है कि भारत सरकार भी अब एंटीबायोटिक की इस्तेमाल की पद्धति को लेकर सख्त रूख अपनाती नजर आ रही है।

स्वास्थ्य पर एंटीबायोटिक का बुरा असर होता है या नहीं, यह आज भी बहस का एक व्यापक विषय है। लेकिन अब सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, सरकार की ओर से डॉक्टरों से यह अपील की गई है कि वह मरीजों के पर्चों पर एंटीबायोटिक दवा लिखते समय उचित कारण का भी ‘अनिवार्य’ रूप से उल्लेख करें। इसका खुलासा CNBCTV18 की एक रिपोर्ट के हवाले से हुआ है।

Govt Order For Doctors Regarding Anti-Biotics

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने मेडिकल कॉलेजों के सभी डॉक्टरों को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने डॉक्टरों से एंटीबायोटिक दवा लिखते समय सटीक संकेत (इंडिकेशन)/कारण (रीजन)/औचित्य (जस्टिफिकेशन) जैसे पहलुओं को भी स्पष्ट और अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं असल में ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय’ के अधीन ही काम करती है। ऐसे में यह निर्देश बेहद अहम हो जाते हैं, जो आने वाले दिनों में देश भर के भीतर एंटीबायोटिक के इस्तेमाल और प्रिस्क्रिप्शन के तरिकों को बिल्कुल नया स्वरूप दे सकते हैं।

इससे यह भी जाहिर हो गया है कि अब सरकार ने भी ‘एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल’ जैसे गंभीर मुद्दे पर विचार शुरू कर दिया है। दिलचस्प रूप से अपने इस पत्र में डॉ. गोयल ने सिर्फ डॉक्टरों के लिए ही नहीं बल्कि फार्मासिस्टों को भी नसीहत दी है। उन्होंने कहा है;

“ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स नियमों की अनुसूची H और H1 का अनुपालन सुनिश्चित करें और सिर्फ वैध प्रिस्क्रिप्शन देखनें के बाद ही ग्राहकों को एंटीबायोटिक दवाएँ बेचें।”

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यह भी कहा गया है कि एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग और अत्यधिक उपयोग दवा-प्रतिरोधी रोगजनकों के लिए भी उत्तरदाई कारकों में से एक है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के अनुसार Antimicrobial Resistance (AMR) को शीर्ष वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में गिना जाता है।

पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2019 में वैश्विक रूप से 1.27 मिलियन (लगभग 12 लाख) मौतों के पीछे की वजह ‘Bacterial AMR’ ही रहा। वहीं लगभग 4.95 मिलियन मौतें केवल दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों से हुई।

मेडिकल कॉलेजों को ही क्यों लिखा गया पत्र

जानकारी के अनुसार, डॉ. गोयल यह पत्र मेडिकल कॉलेजों को इसलिए लिखा क्योंकि देश में मेडिकल कॉलेजों का बहुत अधिक महत्व रहा है और आज भी है। मेडिकल कॉलेज न सिर्फ देश में तृतीयक हेल्थ केयर प्रदाता हैं, बल्कि डॉक्टरों की युवा पीढ़ी के लिए शिक्षा का अहम केंद्र भी हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि मेडिकल कॉलेजों में अगली पीढ़ी के डॉक्टरों को संबंधित चिंताओं और निर्देशों के प्रति जागरूक किया जाए।

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