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सरकार ने WhatsApp से कहा, “वापस ले नई प्राइवेसी पॉलिसी”, दिया ‘सात दिन’ का नोटिस – रिपोर्ट

सरकार ने WhatsApp से कहा, “वापस ले नई प्राइवेसी पॉलिसी”, दिया ‘सात दिन’ का नोटिस – रिपोर्ट

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Govt Tells WhatsApp to Withdraw Privacy Policy: भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने बुधवार को WhatsApp को एक पत्र लिखकर अपनी नई विवादित प्राइवेसी पॉलिसी को वापस लेने के लिए कहा। इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि भारत सरकार ने WhatsApp को इस संबंध में 7 दिनों का नोटिस भी जारी किया है।

मतलब ये की केंद्र सरकार ने कंपनी को जवाब देने के लिए सात दिन (क़रीब 25 मई) तक का समय दिया है और साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि अगर कंपनी ने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो उचित कार्यवाई भी की जा सकती है।

Govt Vs WhatsApp: सरकार ने व्हाट्सप्प से नई प्राइवेसी पॉलिसी वापस लेने को कहा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने इस पत्र में Meity ने भारतीय बाजार में अपनी नई विवादित पॉलिसी (नियमों और शर्तों) को लागू करने के लिए अपनी लोकप्रिय व इंस्टेंट मैसेजिंग क्षेत्र में अपनी स्थिति का लाभ उठाने वाला कदम बताया है और साथ ही इस रवैए को “गैर-जिम्मेदार” करार दिया है।

आपको बता दें WhatsApp ने अपनी नई पॉलिसी को 15 मई तक एक्सेप्ट करने की डेडलाइन को ख़त्म कर दिया था, लेकिन इसी बीच ऐसी ख़बरें भी आई कि इस पॉलिसी को काफ़ी समय तक एक्सेप्ट न करने पर यूज़र्स ऐप के बहुत से फ़ीचर्स से हाथ धो बैठेंगें।

इस बीच तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मंत्रालय ने अपने इस पत्र में 15 मई की डेडलाइन ख़त्म करने के कदम को नाकाफ़ी बताते हुए, कहा है कि WhatsApp महज़ इतना करके भारतीय उपयोगकर्ताओं के प्रति उनकी प्राइवेसी का सम्मान करने की ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं होता है।

इस बीच ANI के अनुसार केंद्र सरकार ने कहा है कि WhatsApp भारतीय उपयोगकर्ताओं और यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के बीच भेदभाव कर रहा है।

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Credits: Wikimedia Commons

कथित रूप से कहा गया है कि नई प्राइवेसी पॉलिसी यूज़र्स की गोपनीयता, डेटा सुरक्षा आदि पहलुओं को कमजोर करती हैं और साथ ही भारतीय नागरिकों के अधिकारों का भी हनन करती हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार इस पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कंपनी की नई पॉलिसी मौजूदा भारतीय क़ानून का भी उल्लंघन करती है।

इस बीच कहा जा रहा है कि सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी WhatsApp प्राइवेसी पॉलिसी केस की सुनवाई के दौरान अपने इसी स्टैंड को क़ायम रखा है। आपको बता दें 3 जून को अदालत में इस मामले की आगे की सुनवाई होगी।

असल में हम सब जानते हैं कि WhatsApp भारत में एक प्रमुख मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म की तरह इस्तेमाल होता है, जिसको करोड़ों लोग हर रोज़ कई घंटो तक इस्तेमाल करते हैं। सरकारी आँकड़ो के अनुसार, Facebook के मालिकाना हक़ वाले इस प्लेटफ़ॉर्म के भारत में क़रीब 53 करोड़ यूज़र्स हैं।

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Govt Vs WhatsApp: क्यों पॉलिसी को लेकर WhatsApp ने पकड़ रखी है ज़िद्द?

हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि इस नई प्राइवेसी पॉलिसी को लागू करने के बाद भले WhatsApp एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होने का दावा करता रहे, लेकिन ऐसिया आशंकाएँ हैं कि ये पॉलिसी कथित रूप से ये कंपनी को चैट और उपयोगकर्ताओं के मेटाडेटा, लेनदेन डेटा, मोबाइल डिवाइस की जानकारी, IP ऐड्रेस और अन्य डेटा को Facebook आदि से शेयर करने की इजाज़त देती है, ख़ासकर WhatsApp for Business अकाउंट्स को लेकर।

अब ज़रा इस बात पर ग़ौर कीजिए कि Google की तरह Facebook के लिए कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया विज्ञापन का है और इन तमाम डेटा का इस्तेमाल करके अगर कंपनी अपने तमाम प्लेटफ़ॉर्म जैसे Instagram, Facebook आदि में लोगों को टारगेट एडवर्टाइजमेंट दिखाती है, तो कई विज्ञापन देने वाली कंपनियाँ Google आदि की बजाए Facebook पर अधिक भरोसा जाताएँगी और जिससे कंपनी की कमाई और बढ़ेग़ी।

और तो और ये क़दम कंपनी के एक और सपने को पूरा करने में भी मदद कर सकता है। बात ये है कि WhatsApp भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में ख़ुद को एक Super App की तरह स्थापित करने के प्रयास करना चाहता है, और वह छोटे बिज़नेस आदि को कस्टमर डेटा एनालिटिक्स की भी सुविधा प्रदान करने का मन बना रहा है।

इसका उदाहरण Jio में बतौर निवेश शामिल हुई Facebook के Reliance Retail और WhatsApp को लेकर की गई कथित विशेष साझेदारी के रूप में देखा भी जा सकता है।

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