संपादक, न्यूज़NORTH
Election Commission Removes Home Secretaries: लोकसभा चुनावों की तारीख़ों का ऐलान हो चुका है। ऐसे में अब चुनाव आयोग ने तैयारियों को लेकर कमर कस ली है। इसी क्रम में एक बड़ी कार्यवाई करते हुए चुनाव आयोग ने आज गुजरात, यूपी समेत कुल 6 राज्यों के गृह सचिव को हटा दिया है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, ये सभी गृह सचिव संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री कार्यालय के तहत दो प्रभार की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
जिन राज्यों के गृह सचिवों को चुनाव के चलते हटाया गया, उनमें गुजरात, यूपी, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। इतना ही नहीं बल्कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस चीफ समेत कई अन्य अधिकारियों को भी उनके वर्तमान पद से हटाने का आदेश जारी किया है।
Election Commission Removes Home Secretaries
यह फैसला भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। इस बैठक में हाल में नियुक्त किए गए चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू भी शामिल हुए।
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गौर करने वाली बात है कि वर्तमान में गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में भाजपा या इसके गठबंधन की ही सरकारें हैं। वहीं झारखंड और हिमाचल में कांग्रेस या इसके गठबंधन वाली सरकारें हैं।
अन्य राज्यों में भी हुई कार्यवाई
जैसा हमनें पहले ही बताया कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी राजीव कुमार को भी हटाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से नाराजगी जाहिर करते हुए बीएमसी और अतिरिक्त/उपायुक्तों आदि अधिकारियों के ट्रांसफर करने के निर्देश दिए हैं।
इतना ही नहीं बल्कि भारतीय चुनाव आयोग ने मिजोरम और हिमाचल प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभागों के सचिवों को भी हटाने का फैसला किया है।
क्यों हटाए गए ये तमाम अधिकारी?
आपके मन में शायद यह सवाल उठ रहा हो कि भला अचानक चुनावों के समय EC ने इन दिग्गज अधिकारियों को हटाने का फ़ैसला क्यों किया? असल में जिन अधिकारियों को आदेश के तहत हटाया गया है, उनके पास अपने-अपने संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के कार्यालय में दोहरे प्रभार मौजूद थे। ऐसे में चुनावों के दौरान, चुनावी प्रक्रिया पर निष्पक्षता, कानून व्यवस्था, जाँच, EVM, आदि पहलुओं को लेकर सवाल उठ सकने की संभावना थी।
यही वजह है कि चुनाव आयोग ने पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए यह बड़ा कदम उठाया, ताकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक भारत के आम चुनावों के दौरान सभी लोगों का विश्वास हासिल करते हुए, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सके।