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सरकार ने वापस लिया आदेश, AI मॉडल लॉन्च के लिए नहीं लेनी होगी मंजूरी – रिपोर्ट

सरकार ने वापस लिया आदेश, AI मॉडल लॉन्च के लिए नहीं लेनी होगी मंजूरी – रिपोर्ट

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Govt withdraws AI Model’s Order?: देश में आर्टिफ़िशिल इंटेलिजेन्स तकनीक क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने AI मॉडल, LLM (लार्ज लैंवेज मॉडल) व एल्गोरिदम के लिए जारी किया गया अपना हालिया आदेश वापस ले लिया है। इस आदेश के तहत देश के भीतर एआई मॉडल आदि लॉन्च के पहले सरकार से अनुमति लेने की बात कही गई थी।

इस संबंध में शुक्रवार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से के नई एडवाइजरी जारी की गई। ET की के नई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है कि AI मॉडल, LLM, जेनरेटिव एआई सॉफ्टवेयर या एल्गोरिदम या ऐसे किसी भी मॉडल पेश करने के लिए अब ‘उचित लेबलिंग’ करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत अब बस संबंधित कंपनी को मॉडल की संभावित अविश्वसनीयता को लेकर यह साफ तौर पर जाहिर करना होगा कि AI मॉडल के आउटपुट में त्रुटि आदि की संभावना है।

Govt withdraws AI Model’s Order?

यह सामने आया है कि आईटी मंत्रालय की ओर से AI मॉडल पेश करने से पहले स्पष्ट अनुमति की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अभी भी ‘कंसेंट पॉप-अप’ की आवश्यकता को बनाए रखा गया है। इसका पालन अभी भी करना होगा।

आसान शब्दों में मतलब ये है कि उपयोग उपयोगकर्ताओं को आउटपुट की अविश्वसनीयता  आदि के बारे में सूचित करने के लिए टेक मध्यस्थों, AI मॉडल, LLM और जेनरेटिव AI सॉफ्टवेयर्स पर ‘कंसेंट पॉप-अप’ लगाना होगा।

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पहले का आदेश

अगर आपको याद हो तो 1 मार्च को भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय या ‘MeitY’ की ओर से AI उपयोग को लेकर एक नई एडवायजरी जारी की गई थी। इस एडवायजरी में देश में कार्यरत सभी मध्यस्थों या प्लेटफॉर्म को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि टेस्टिंग या ट्रायल के तहत गैर-भरोसेमंद AI मॉडल, लार्ज लैंग्वेज मॉडल या जेनरेटिव एआई मॉडल को तमाम यूजर्स के लिए पेश करने या इस्तेमाल करने हेतु उपलब्ध करवाने से पहले भारत सरकार की इजाजत ली जाए।

हालाँकि तब यह सामने आया था कि एडवायजरी कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। पर इसे भारत में एआई रेगुलेशन के संदर्भ में एक अहम कदम के रूप में देखा गया। दिलचस्प यह था कि MeitY द्वारा जारी पूर्व एडवायजरी में सभी प्लेटफार्म व मध्यस्थों को 16 मार्च तक एक रिपोर्ट भी भेजनें के लिए कहा गया था। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट करने की बात कही गई थी कि कंपनियों ने दिए गए निर्देशों के संदर्भ में अब तक क्या क्या कार्यवाई की हैं?

लेकिन इस एडवाइजरी के जारी होते ही मिली-जूली प्रतिक्रियाएँ सामने आने लगी। कहा गया कि विश्व में पहली बार किसी सरकार ने ऐसी कोई एडवाइजरी जारी की है। कुछ ने इसकी आलोचना की और स्टार्टअप्स में इनोवेशन को लेकर भी इसे विनाशकारी बताया गया। लेकिन मंत्रालय ने बाद में स्पष्ट किया कि यह स्टार्टअप्स पर लागू नहीं होगी।

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