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चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित डेटा, लेकिन क्या आसान है समझना?

चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित डेटा, लेकिन क्या आसान है समझना?

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Election Commission released electoral bonds data: सुप्रीम कोर्ट की इलेक्शन बॉन्ड के डेटा को चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट में अपलोड करने की मिली समय सीमा के पूर्व ही आयोग ने आज (14 मार्च 2024) ही एसबीआई से प्राप्त जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट में अपलोड कर दिया है।

इससे पूर्व में देश की सर्वोच्च अदालत ने एसबीआई को इलेक्शन बॉन्ड सबंधित उपलब्ध जानकारी को चुनाव आयोग को सौंपने की समय सीमा जारी की थी, जिसे लेकर एसबीआई असमर्थता जता रहा था।

इसके बाद कोर्ट ने पूरे मामले को लेकर एसबीआई से तल्ख टिप्पणी में कहा था कि यदि वह कोर्ट के दिए निर्धारित समय सीमा में इलेक्शन बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं सौंपता, तो उसके ऊपर कोर्ट के आदेश की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद आनन फानन में एसबीआई ने इलेक्शन बॉन्ड से संबंधित डेटा मंगलवार, 12 मार्च को चुनाव आयोग को सौंपा था।

ऐसे में प्राप्त डेटा को शायद ECI ने भी ज्यों का त्यों ही पब्लिश कर दिया है। इसको लेकर 2 पीडीएफ फाइल मुख्य रूप से अपलोड की गई हैं। वैसे गौर इस बात पर भी किया जाना चाहिए कि CJI ने भी SBI याचिका की सुनवाई के दौरान ‘सादे’ मौजूद स्वरूप में डेटा उपलब्ध करवाने का जिक्र किया था।

डेटा में क्या है? क्या आसान है समझ पाना?

चुनाव आयोग द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट में इलेक्शन बॉन्ड के संबंध में शेयर डेटा में किस पार्टी को कितनी राशि का बॉन्ड के माध्यम से चंदा प्राप्त हुआ है, उसकी जानकारी साझा की गई है।

दो अलग अलग लिस्ट में पार्टियों को प्राप्त ब्रॉन्ड की राशि और किस ने कितनी राशि का बॉन्ड खरीदा है, उसके बारे में अलग अलग जानकारी साझा की गई है। लिस्ट में यह पता लगाना मुश्किल है, किस व्यक्ति ने बॉन्ड खरीदकर किस पार्टी को वह बॉन्ड डोनेट किया है।

लिस्ट में देशभर में मौजूद प्राय: सभी बड़ी पार्टियों के नाम मौजूद है। इसमें भाजपा, कांग्रेस ,शिवसेना, बीआरएस, अन्नाद्रमुक, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस सहित देश की अन्य पार्टियों के नाम शामिल है।

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डोनर्स को लेकर क्या आया सामने?

चुनाव आयोग द्वारा आधिकारिक वेबसाइट में जारी लिस्ट में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, जैसी संस्थाओं के नाम है, जिन्होंने 2019 के बाद से इलेक्शन बॉन्ड को खरीदा है।

गौरतलब हो, 15 फरवरी को दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना, 2018 को असंवैधानिक करार दिया था और एसबीआई को तुरंत इन्हें जारी करने से रोकने का आदेश दिया था।

इसके साथ अब तक जारी चुनावी बांड के ज़रिए राजनितिक पार्टियों को मिले फंड की जानकारी का डेटा चुनाव आयोग को सौंपे जाने का निर्देश दिया था साथ ही चुनाव आयोग से एसबीआई से प्राप्त डेटा को आयोग की आधिकारिक वेबसाइट में सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

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