वेटलैंड सिटी: उदयपुर, इंदौर और भोपाल होंगे देश के पहले ऐसे शहर? जानें यहाँ!

  • उदयपुर, इंदौर और भोपाल बन सकते हैं भारत की पहली 'वेटलैंड सिटी'
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित किया गया नाम
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Wetland Cities in India – Bhopal Indore and Udaipur?: भारत को जल्द ही अपने पहले आर्द्रभूमि शहर (वेटलैंड सिटीज) मिल सकते हैं। सरकार की ओर से देश के तीन शहरों – इंदौर (मध्य प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश) और उदयपुर (राजस्थान) को आर्द्रभूमि शहरों (वेटलैंड सिटी) के रूप में नामांकित किया गया है।

इन शहरों को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत आर्द्रभूमि शहर प्रमाणन (डब्ल्यूसीए) प्रदान किया जा सकता है। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से पहले ‘वेटलैंड सिटी एक्रिडिटेशन’ (WCA) के लिए मध्य प्रदेश के दो और राजस्थान के एक शहर के नाम प्रस्तावित किया गया है। यह नामांकन संबंधित शहरों के नगर निगमों के सहयोग से इनके ‘राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों’ से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।

इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की ओर से एक्स पर किए गए एक पोस्ट के माध्यम से दी गई। उन्होंने इसके लिए संबंधित राज्यों और शहरों के स्थानीय प्रशासन की तारीफ करते हुए लिखा;

“यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि देश के पहले तीन आर्द्रभूमि शहरों के रूप में इंदौर, भोपाल और उदयपुर को रामसर साइट के नामांकन हेतु प्रस्तावित किया गया है।”

Wetland Cities In India

▶︎ इंदौर: इस शहर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में अब यह भी शमिल है कि यह स्वच्छता के मामले में लगातार 6 सालों से देश का शीर्ष शहर बना हुआ है। इंदौर बेहतरीन स्वच्छता, पानी और शहरी पर्यावरण के लिहाज से ‘स्मार्ट सिटी अवार्ड 2023’ का भी विजेता रहा है।

▶︎ भोपाल: यह शहर भी देश के सबसे स्वच्छ शहरों में गिना जाता है। शहर ने अपने नगर विकास योजना 2031 के प्रारूप में आर्द्रभूमि के आसपास संरक्षण क्षेत्र विकसित करने की योजना भी शामिल की है। जानकारी के अनुसार, भोपाल नगर निगम के पास एक समर्पित ‘झील संरक्षण सेल’ भी मौजूद है।

▶︎ उदयपुर: लेक सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान का यह शहर पांच प्रमुख आर्द्रभूमियों से घिरा हुआ है, जिसमें पिछोला, फतेह सागर, रंग सागर, स्वरूप सागर और दूध तलाई का नाम शामिल है।

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इन तीनों शहरों में कई रामसर साइट्स मौजूद हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं;

  • सिरपुर वेटलैंड (रामसर साइट, इंदौर)
  • यशवंत सागर (रामसर साइट, इंदौर)
  • भोज वेटलैंड (रामसर साइट, भोपाल)
  • उदयपुर व इसके आसपास तमाम वेटलैंड्स (झीलें)

अगर हम कहें कि ये तमाम रामसर साइट्स इन संबंधित शहरों की जीवन रेखा के रूप में भी काम करती हैं, तो यह किसी प्रकार से गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उदयपुर, इंदौर और भोपाल जैसे शहरों और इनके आसपास स्थित आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) के चलते स्थानीय नागरिकों को बाढ़ विनियमन, आजीविका के अवसर, मनोरंजक और सांस्कृतिक विरासत जैसे कई लाभ मिलते हैं।

वेटलैंड सिटी प्रमाणन/एक्रिडिटेशन (डबल्यूसीए) क्या है?

वेटलैंड सिटी प्रमाणन/एक्रिडिटेशन (डबल्यूसीए) की शुरुआत साल 2015 में आयोजित CoP12 में रामसर कन्वेंशन संकल्प 11.10 के तहत हुई थी, जिसमें स्वैच्छिक आर्द्रभूमि शहर मान्यता प्रणाली को अनुमति दी गई है। इस प्रणाली के तहत ही ऐसे शहरों को यह सर्टिफिकेशन (प्रमाणन) दिया जाता है, जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए कुछ असाधारण कदम उठाए हों।

इसका मकसद आर्द्रभूमि से लैस शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की पहचान करते हुए, उनके संरक्षण एवं सुरक्षा के उचित उपाय करना है। साथ ही वेटलैंड सिटी प्रमाणन योजना के जरिए शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मौजूद आर्द्रभूमियों के बेहतर इस्तेमाल को भी बढ़ावा देने की कोशिश की जाती हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर स्थाई सामाजिक व आर्थिक लाभ के अवसर पैदा किए जा सकें। जाहिर है यह योजना उन तमाम शहरों व उनके स्थानीय प्रशासन को प्रोत्साहित करती है, जो आर्द्रभूमि के समीप हैं और उन पर निर्भर हैं।

कैसे मिलता है वेटलैंड सिटी प्रमाणन?

औपचारिक रूप से ‘वेटलैंड सिटी’ की मान्यता प्राप्त करने के लिए किसी शहर को आर्द्रभूमि के संबंध में रामसर कन्वेंशन के तहत कुछ तय अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा करना होता है। रामसर कन्वेंशन में डबल्यूसीए के अंतर्गत ऐसे लगभग 6 मुख्य मापदंड तय किए गए हैं।

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