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अब Tata Pay देश में देगा Google Pay को टक्कर, मिला लाइसेंस

अब Tata Pay देश में देगा Google Pay को टक्कर, मिला लाइसेंस

  • Tata Pay को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से मिला पेमेंट एग्रीगेटर (PA) लाइसेंस
  • टाटा ग्रुप का पहला नहीं बल्कि दूसरा पेमेंट बिजनेस होगा
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Tata Pay Gets UPI Aggregator License From RBI Like Google Pay: देश और दुनिया भर के तमाम सेक्टर्स में अपना वर्चस्व रखने वाला टाटा ग्रुप (Tata Group) अब डिजिटल पेमेंट सर्विस में भी कदम रखने जा रहा है। असल में Tata Payments (Tata Pay) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से एग्रीगेटर लाइसेंस प्रदान कर दिया गया है।

क्या है इसके मायने!

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा टाटा समूह के डिजिटल भुगतान ऐप टाटा पेमेंट्स (Tata Pay) को पेमेंट एग्रीगेटर (PA) लाइसेंस दिए जाने का मतलब यह है कि कंपनी को अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से ई-कॉमर्स भुगतान या ट्रांजैक्शन की अनुमति मिल गई है। बता दें Tata Payments असल में टाटा ग्रुप के डिजिटल व्यवसायों का संचालन करने वाली Tata Digital का ही हिस्सा है।

इस पेमेंट लाइसेंस को प्राप्त करने के साथ ही अब Tata Pay देश में पहले से ही अपनी सेवाएँ दे रहे Google Pay, Razorpay, Cashfree आदि कंपनियों की लिस्ट में शुमार हो गया है।

हालाँकि जानकारी के मुताबिक पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के साथ, Tata अपनी सहायक संस्थाओं के भीतर सभी ई-कॉमर्स लेनदेन को सशक्त बना सकेगा। इसके साथ ही कंपनी को फंड को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकने में भी मदद मिलेगी।

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याद दिला दें, Tata Group ने साल 2022 में अपनी डिजिटल पेमेंट ऐप लॉन्च की थी। लेकिन अब तक कंपनी ICICI बैंक के साथ साझेदारी के माध्यम से यूपीआई पेमेंट्स/ट्रांजैक्शन की सुविधा का इस्तेमाल कर रही थी।

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Tata Pay: कंपनी का दूसरा पेमेंट बिजनेस

जाहिर है टाटा कोई छोटा नाम नहीं है। ऐसे में कंपनी अब इस अवसर को व्यापक रूप से भुनाने का प्रयास करती नजर आएगी। जानकारों की मानें तो कंपनी अब टेक्नोलॉजी को लेकर नई रणनीति तैयार कर रही है।

यह इसलिए और दिलचस्प हो जाता है क्योंकि यह टाटा ग्रुप का पहला पेमेंट बिजनेस नहीं है। कंपनी इसके पहले से ही एक पेमेंट बिजनेस चला रही है, जिसे Indicash के नाम से जाना जाता है। इसके तहत कंपनी को देश के ग्रामीण इलाकों में ‘White Label ATM’ चलाने का लाइसेंस मिला हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट्स में आरबीआई के आँकड़ो के हवाले से यह बताया गया है कि Tata इसके पहले प्रीपेड पेमेंट बिजनेस या ‘मोबाइल वॉलेट’ में भी हाथ आजमा चुकी है। लेकिन वहाँ उसे इतनी सफलता नहीं मिल सकी, जिसके चलते कंपनी ने साल 2018 में लाइसेंस सरेंडर कर दिया था।

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