“हिट एंड रन केस” काननू में संशोधन को लेकर देश भर में ट्रक, बस, ऑटो चालक क्यों है गुस्से में!

  • हिट एंड रन केस काननू में संशोधन को लेकर देश भर में ट्रक बस ऑटो चालक की हड़ताल.
  • कानून को वापिस लेने के और पुनर्विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और कई सांसदों को पत्र.
Cab driver launches his own app"Nano Travels"

Amendment in law “Hit and Run Case”: हिट एंड रन केस काननू में संशोधन को लेकर देश भर में ट्रक बस ऑटो चालक चक्काजाम और हड़ताल कर रहे है, जिसके बाद से ही नई साल की पहली सुबह में लोगों को पब्लिक टांसपोर्ट सुविधा के लिए परेशान होना पड़ा। इस स्थिति में देश में भिन्न भिन्न हिस्सों में खानपान और अन्य सेवाओं की सप्लाई भी बाधित हुई हैं।

दरअसल भारत सरकार ‘हिट एंड रन केस’ मामलों को लेकर गंभीर है, ऐसे में सरकार इस कानून को संशोधित करते हुए इसमें सजा का प्रावधान और सख्त करने जा रही है। नए नियमों के मुताबिक हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवरों की सजा को और कड़ा किया जा रहा है। दोष साबित होने के बाद 7 लाख रुपये तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है।

Amendment in law “Hit and Run Case” क्या है ट्रक ऑटो चालकों की समस्या

संशोधित कानून को लेकर ट्रक बस सहित ऑटो चालकों में नाराजगी जाहिर की है, उनके अनुसार कोई भी जानबूझकर दुर्घटना नही करता संशोधित कानून ड्राइवरों को उनकी ड्यूटी से हतोत्साहित करेगा और नए लोगों को नौकरी लेने से रोकेगा जबकि देशभर में पहले से ही 27 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी है।

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चालकों ने चिंता व्यक्त करते हुए मीडिया में कहा,ज्यादातर चालक की मासिक मानदेय ₹18 हजार या उससे भी कम है ऐसे स्थिति में इतना भारी भरकम राशि सजा के तौर में चुकाना असंभव है।

मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का मानना है, देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। इसके कारण मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती और ड्राइवर को दोषी करार दिया जाता है। दुर्घटनास्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है, लेकिन आसपास जमा भीड़ से बचने के लिए ऐसा किया जाता है।

Amendment in law “Hit and Run Case” क्या है, संशोधित कानून!

आईपीसी की धारा 104 के तहत लापरवाही से मौत या फिर जल्दबाजी या लापरवाही से हुई मौत के अपराध में पहले – 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था।

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अब केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए ऐसी स्थिति में जो मामला गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता ऐसी स्थिति में आरोपी घटना स्थल से भाग जाता है या घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है,

तो उसे दोनों प्रकार यानी कैद और नगद जुर्माना दोनों से दंडित किया जाएगा। इसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी ₹7 लक तक लगाया जा सकता है।

गौरतलब है, उक्त नए संशोधित कानून को वापिस लेने के और पुनर्विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कई सांसदों को पत्र लिखा गया है। कानून वापस नहीं लिया गया, तो विरोध और अधिक तेज होने की संभावना है।

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