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क्या होता है Digital Arrest, कैसे बनाया जाता है शिकार? तेजी से बढ़ रहे मामलों का सच!

क्या होता है Digital Arrest, कैसे बनाया जाता है शिकार? तेजी से बढ़ रहे मामलों का सच!

  • युवती को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर लाखों रुपए की ठगी को अंजाम दिया गया।
  • जालसाज़ खुद को CBI, क्राइम ब्रांच और ईडी अधिकारी बताकर पीड़ित व्यक्ति को जांच के बहाने ऐप डाउनलोड कराते हैं।

Know about the new cyber crime “digital arrest” here: देश में अब साइबर अपराधियों के हौसले इतने अधिक बढ़ गए है, कि अब दिल्ली एनसीआर के नोएडा में एक पढ़ी लिखी इंजीनियर लड़की को “डिजिटल अरेस्ट” साइबर फ्रॉड के तरीके से ₹11.11 लाख की ठगी का शिकार बना लिया गया।

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दरअसल साइबर अपराधी आम लोगो को ठगने के लिए कई प्रकार के नए हथकंडे अपनाते है, ऐसा ही मामला नोएडा सेक्टर-34 स्थित धवलगिरी अपार्टमेंट से निकलकर आया है जहां युवती को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर लाखों रुपए की ठगी को अंजाम दिया गया। पुलिस की प्राथमिक जॉच में डिजिटल अरेस्ट का मामला प्रकाश में आया है।

नोएडा की महिला इंजीनियर सीजा टीए के पास 13 नवंबर को अंजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राइ) का कर्मचारी बताकर उसे इस बात के लिए डराया की उसके आधार कार्ड से एक सिम कार्ड खरीदी गई थी जिसका उपयोग मनी लांड्रिंग के लिए किया गया है, जांच की बात (cyber crime “digital arrest”) और जमानत लेने की बात करते हुए उसके साथ लाखों की ठगी को अंजाम दे दिया गया।

cyber crime “digital arrest”: क्या होता है जिसके जरिए लोगों को ठगा जा रहा है

मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये व्यक्ति पर नजर रखी जाती है,उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है,यानी वीडियो कॉल के जरिये व्यक्ति को जहां वह है, वहीं कैद कर दिया जाता है।

इस दौरान पीड़ित न तो किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है,व्यक्ति को उनके मोबाइल फोन पर लगातार जुड़े रहने को मजबूर किया जाता है। ऐप पर लगातार चैटिंग, ऑडियो-वीडियो कॉल कर उसे ऐप से लॉग आउट नहीं होने दिया जाता है, डरा धमकाकर रुपये भी ऐंठे जाते हैं।

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इस पूरे मामले को लेकर साइबर पुलिस ने बताया है कि, अब साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने के लिए साइबर अरेस्ट का तरीका अपनाया है, जिसमें आम लोगों को एक कॉल के माध्यम से डराया जाता है कि साइबर अपराधी किसी बड़ी जांच एजेंसी से बात कर रहा है।

जैसे कोई जालसाज़ खुद को CBI, क्राइम ब्रांच और ईडी अधिकारी बताकर पीड़ित व्यक्ति को जांच के बहाने ऐप डाउनलोड कराते हैं। इसके बाद पुलिस जिस अंदाज में पूछताछ करती है, ठीक उसी तरह से पीड़ित व्यक्ति से पूछताछ होती है उसे इस प्रकार डरा दिया जाता है कि वह उन्हें असली अधिकारी समझकर बचने की कोशिश में अपने रुपयों से हाथ धो देता है।

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