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वैक्सीन लगवा चुके लोगों के नाम के आगे ब्लू टिक दिखाएगी Aarogya Setu ऐप: रिपोर्ट

वैक्सीन लगवा चुके लोगों के नाम के आगे ब्लू टिक दिखाएगी Aarogya Setu ऐप: रिपोर्ट

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Aarogya Setu Blue Tick Feature: आपको याद होगा कि सरकार ने पिछले साल देश भर में ट्रेसिंग ऐप आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) पेश की थी, जो अधिकतर जगहों पर अनिवार्य भी कर दी गई है और तेज़ी से देश भर में लोग इसको अपने मोबाइल पर इंस्टॉल भी कर रहें हैं।

लेकिन अब Aarogya Setu ऐप में जल्द ही एं नया फ़ीचर आने की बात कही जा रही है, जिसके ज़रिए यह पता चल सकेगा कि किसी व्यक्ति का वैक्सिनेशन स्टेटस (Vaccination Status) क्या है? मतलब क्या उसने वैक्सीन लगवाई है या नहीं?

Aarogya Setu में मिलेगा Blue Tick फ़ीचर

जी हाँ! ईटी द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ऐप पर एक ऐसी सुविधा पर काम कर रही है, जिससे जिन लोगों ने वैक्सीन की एक खुराक लगवा ली है, उनके नाम के आगे एक ब्लू टिक (Blue Tick) दिखेगा।

इसके साथ ही जिन लोगों ने दोनों वैक्सीन डोज़ लगवा लिए होंगें, उनके नाम के आगे Aarogya Setu ऐप पर दो ब्लू टिक (Blue Tick) नज़र आएँगें।

इस रिपोर्ट में सूत्रों के अनुसार बताया गया है कि यह नया फ़ीचर एक या दो हफ़्ते में पेश किया जा सकता है। ज़ाहिर है अगर ऐसा होता है तो Aarogya Setu ऐप जिस मक़सद से बनाई गई है, वह और भी सुचारु रूप से पूरा हो सकेगा।

ख़ासकर यात्रा करते वक़्त लोगों को Aarogya Setu से यह पता चल सकेगा कि उनके आसपास के लोगों का वैक्सिनेशन स्टेटस क्या है, वो भी तमाम सोशल मीडिया के जैसे Blue Tick वाले फ़ीचर की बदौलत।

इसके साथ ही उम्मीद यह है कि ऑफ़िसों में कर्मचारियों को भी वापसी के समय काफ़ी सहूलियत होगी और साथ ही साथ ऑफ़िस के एडमिन आदि को भी यह पता लगाने में आराम मिलेगा कि किसने वैक्सीन लगवाई है और किसने नहीं?

इस बीच रिपोर्ट में एक दिलचस्प बात और सामने आई है। सूत्रों की मानें तो सरकार ये भी विचार कर रही है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली है, क्या उनके आरोग्य सेतु ऐप पर ट्रेस करना बंद कर दिया जाए?  ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार अनावश्यक रूप से किसी व्यक्ति के लोकेशन आदि संबंधित डेटा पर नज़र नहीं रखना चाहती है।

डेटा के चलते विवादों में रही है Aarogya Setu

असल में पहले से ही आरोग्य सेतु ऐप पर डेटा संबंधित विवादो को जोड़ा जा रहा है। लेकिन 15 अप्रैल को इस विवाद ने तब फिर से बहस का मुद्दा बना दिया जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद को 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत उसकी गिरफ्तारी के सात महीने बाद जमानत दी।

असल में अदालत ने उमर के खिलाड़ UAPA के तहत आरोपों को अभी तक ख़ारिच नहीं किया गया है। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने ₹20,000 बॉन्ड भुगतान और इतनी ही जमानत राशि के साथ उमर खालिद को जमानत देने का फैसला किया था। पर ग़ौर  करने वाली बात यह थी कि अदालत ने एक और दिलचस्प शर्त ये रखी गई थी कि उमर खालिद को अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) ऐप इंस्टॉल करना होगा।

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इस आदेश के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाने लगें हैं कि शायद आरोग्य सेतु का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जमानत या अंडर-ट्रायल व्यक्तियों को ट्रैक करने के लिए किया जा रहा है।

हाल ही में उठा CoWin की प्राइवेसी पॉलिसी का मसला?

इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) ने बुधवार को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि CoWin ऐप पोर्टल पर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करने पर यूज़र्स का किस तरह का डेटा स्टोर किया जाता है?

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इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने पिछले महीने सूचना के अधिकार के तहत एक RTI दायर की थी, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) से को पूछा गया था कि CoWin उपयोगकर्ताओं के पर्सनल डेटा की सुरक्षा कैसे की जा रही है?

लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने जहाँ इसको लेकर कुछ पहलुओं की जानकरियाँ ज़रूर साझा की, पर उन्होंने यह साफ़ कर दिया कि CoWin ऐप से जुड़ी प्राइवेसी पॉलिसी की कॉपी प्रदान नहीं की जा सकती है, क्योंकि “CoWin ऐप केवल राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तरीय प्रशासकों द्वारा ही एक्सेस की जा सकती है। आम जनता केवल वैक्सीनेशन के लिए खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।

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