संपादक, न्यूज़NORTH
IIT Aspirant Commits Suicide in Kota: कोचिंग हब कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा में एक और छात्र द्वारा आत्महत्या करने की दुर्भाग्यपूर्ण खबर सामने आई है। साल 2024 की शुरुआत से अब तक यह कोटा में चौथा सुसाइड का मामला सामने आया है। छात्र कोटा में आईआईटी जेईई प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था।
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक, मौके पर स्थानीय पुलिस पहुँच चुकी है। यह घटना कोटा के महावीर नगर की बताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्र का नाम शुभ कुमार चौधरी है और यह मूलतः छत्तीसगढ़ का रहने वाला है।
IIT Aspirant Commits Suicide in Kota
बताया जा रहा है कि आज सुबह जब घरवालों ने छात्र को फोन करने की कोशिश की तो उसका कॉल नहीं उठा। बार-बार कॉल करने पर भी कॉल ना उठाए जाने के कारण चिंतित घरवालों ने हॉस्टल के वॉर्डन को कॉल मिलाया। जब वॉर्डन छात्र के रूप में पहुँचे तो देखा कि छात्र का शव पंखे से लटका हुआ था।
आपको बता दें, कल (12 फरवरी) की रात को ही जेईई का रिज़ल्ट घोषित किया गया है। इसके बाद से ही छात्र तनाव में बताया जा रहा था, जिसके चलते उसने यह कदम उठाया।
कोटा में बढ़ रहे सुसाइड के मामले
राजस्थान के कोटा को हमेशा से ही देश के सबसे बड़े कोचिंग एजुकेशन हब के रूप में देखा जाता रहा है। लगभग देश भर से छात्र यहाँ आईआईटी जेईई और एनईईटी जैसी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए आते रहे हैं। लेकिन बीतें कुछ समय से छात्रों के बीच पढ़ाई को लेकर तनाव में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कोटा में पढ़ाई के तनाव के चलते आत्महत्या करने जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं।
जैसा हमनें पहले ही बताया यह कोटा में इस साल हुई चौथी सुसाइड की घटना है। इसके पहले कोटा के बोरखेड़ा क्षेत्र में रहने वाली छात्र निहारिका सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उस छात्रा ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें लिखा था,
“मम्मी, पापा, मैं JEE नहीं कर सकती. इसलिए मैंने आत्महत्या कर ली है. मैं खराब बेटी हूं. मुझे माफ करना, मम्मी पापा. मेरे पास यह आखिरी विकल्प है.”
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प्रशासन के प्रयास
कोटा में स्थानीय प्रशासन ने सुसाइड की घटना को रोकने के लिए अनोखी पहल भी शुरू की थी। इसके तहत कोचिंग स्टूडेंट्स के साथ ‘डिनर विथ कलेक्टर‘ कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। कोटा में स्थानीय मीडिया से निकलकर सामने आई खबरों के अनुसार कोटा के कलेक्टर हर शुक्रवार किसी हॉस्टल में जाकर विद्यार्थियों के साथ डिनर करने और उनके साथ संवाद करने की पहल शुरू की। इस अभियान का नाम “कामयाब कोटा” रखा गया। इसमें स्थानीय कलेक्टर छात्रों के साथ उनके विभिन्न मुद्दों परेशानियों को लेकर डिनर टेबल में चर्चा करते हुए बच्चों को बेहतर परामर्श प्रदान करते हैं।