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राजनयिक विवाद पर जस्टिन ट्रूडो का बयान, ‘लोगों का जीवन मुश्किल बना रहा भारत’

राजनयिक विवाद पर जस्टिन ट्रूडो का बयान, ‘लोगों का जीवन मुश्किल बना रहा भारत’

  • ओंटारियों के ब्रैंपटन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ राजनयिक विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी।
  • ट्रूडो के मुताबिक, भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच यात्राओं और व्यापार पर भी असर डालेगा।
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Justin Trudeau On India-Canada Diplomats Conflict: बीतें गुरुवार को ही कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली की ओर से यह जानकारी दी गई थी कि नई दिल्ली के अल्टीमेटम के बाद कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को भारत से वापस बुला लिया है। इसके बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी और बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी। इस बीच राजनयिकों से संबंधित इस विवाद पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बड़ा बयान दिया।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, कहा कि भारत का यह कदम दोनों देशों के लाखों लोगों का जीवन मुश्किल बना देगा, इससे वीजा सेवाओं में देरी होगी।

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ओंटारियों के ब्रैंपटन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने कहा,

“भारत सरकार, कनाडा और भारत में लाखों लोगों के सामान्य रूप से जारी जीवन को अविश्वसनीय ढंग से मुश्किल बना रही है। और वे (भारत) कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए ऐसा कर रहे हैं।”

आगे अपने बयान में उन्होंने कहा;

“यह कुछ ऐसा है, जिसके चलते मुझे उन लाखों कनाडाई लोगों की भलाई व खुशी को लेकर चिंता हो रही है, जिनका संबंध भारतीय उपमहाद्वीप से है।”

ट्रूडो का दावा है कि भारत की यह कार्रवाई साफ तौर पर वियना संधि के तहत तय अंतरराष्ट्रीय कानूनों और शासकीय कूटनीति का उल्लंघन है। बता दें कुछ दिनों पहले ही भारत ने कनाडा के नागरिकों के लिए अस्थायी तौर पर वीजा सेवाएं भी निलंबित कर दी थीं। इसके बाद कनाडा से भारत में कार्यरत उनके 62 राजनयिक कर्मचारियों की संख्या को कम करते हुए, 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहा गया था।

कनाडा में रहने वाले भारतीय छात्रों पर भी पड़ेगा असर?

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के मुताबिक, भारत की ओर से 41 कनाडाई राजनयिकों को मिलने वाली ‘डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी’’ को एकतरफा रद्द करने और उन्हें वापस भेजने का फैसला दोनों देशों के बीच यात्राओं और व्यापार पर भी असर डालेगा। इतना ही नहीं बल्कि कनाडा में पढ़ने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए भी वीज़ा आदि लिहाज से मुश्किल हो सकती है।

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कनाडा पहले ही कह चुका है कि बेंगलुरु, चंडीगढ़ और मुंबई में स्थित कनाडा के ‘कॉन्सुलेट जनरल’ में फिलहाल कामकाज निलंबित रहेगा। ऐसे में भारत में रहने वाले कनाडाई नागरिकों को राजनयिक मदद के लिए नई दिल्ली स्थित ‘हाई कमीशन ऑफ़िस’ से सीधे संपर्क करना होगा। यह सेवाएँ दोबारा कब से बहाल हो सकेंगी, इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है।

वहीं एक अनुमान के मुताबिक, कनाडा में लगभग 20 लाख भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, जो कनाडा की कुल आबादी का करीब 5 फीसदी हिस्सा है। साथ ही कनाडा में आने वाले कुल विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक बताई जाती है।

कनाडा जारी कर चुका है नई ट्रैवल एडवाइजरी

कनाडा की ओर से 41 राजनयिकों को वापस बुलाए जाने की सूचना दिए जाने के कुछ ही समय बाद, कनाडा के ‘सेफ्टी एंड सिक्योरिटी’ विभाग की ओर से भारत जाने वाले अपने नागरिकों के लिए नई एडवाइजरी जारी की गई। इस नई एडवाइजरी में अपने नागरिकों को सतर्क करते हुए कनाडा ने कहा कि भारत के मीडिया और सोशल मीडिया में कनाडा के प्रति नकारात्मक रूख है। साथ ही कहा गया आइ कि भारत में कनाडा विरोधी प्रदर्शन भी हो सकते हैं। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कनाडाई नागरिक अजनबियों से बहुत अधिक बात करने से बचनें और उनसे अपनी निजी जानकारियाँ साझा ना करने की भी सलाह दी गई है।

विवाद की जड़?

इस विवाद की शुरुआत, पिछले महीने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा अपने देश की संसद में दिया गया एक बयान है। अपने बयान में ट्रूडो ने खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसियों का हाथ होने की आशंका व्यक्त की थी। इसके जवाब में भारत ने इन तमाम आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

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