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डेटा प्रोटेक्शन बिल को मिली ‘कैबिनेट की मंजूरी’, ₹250 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान – रिपोर्ट

डेटा प्रोटेक्शन बिल को मिली ‘कैबिनेट की मंजूरी’, ₹250 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान – रिपोर्ट

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Cabinet Approves Personal Data Protection Bill: भारत को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इंटरनेट बाजार के रूप में देखा जा जाता है। और व्यापक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का मतलब है, बड़े पैमानें पर डेटा और इसे सुरक्षित रखने से जुड़ी तमाम तरीकें की चुनौतियाँ! ऐसे में भारत सरकार भी इस विषय पर गंभीर नजर आ रही है और इस दिशा में अब एक बड़ी खबर भी सामने आई है।

बताया जा रहा है कि बुधवार (5 जुलाई) को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) विधेयक 2023 के मसौदे (ड्राफ्ट) को मंजूरी दे दी गई है।

जी हाँ! इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की एक हालिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब सरकार आगामी मॉनसून सत्र में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को संसद में पेश कर सकती है।

बताते चलें कि देश में संसद का आगामी मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा और इस दौरान ही सरकार संबंधित बिल को पास करवाने के प्रयास कर सकती है।

Data Protection Bill India: क्या है प्रावधान? 

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि इस विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग उन सभी प्रावधानों को  शामिल किया गया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा परामर्श के लिए जारी किए गए थे।

इस विधेयक के दायरे में ‘भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रॉसेसिंग, ऑनलाइन या ऑफलाइन एकत्र किए गए डेटा को बाद में डिजिटलीकृत करना और कुछ शर्तों के तहत भारत के बाहर डेटा प्रॉसेसिंग जैसी चीजों को रखा गया है।

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विधेयक के तहत पर्सनल डेटा को अब सिर्फ संबंधित व्यक्ति की सहमति के बाद ही ‘वैध उद्देश्यों’ के लिए  प्रॉसेस किया जा सकेगा। डेटा की सटीकता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डेटा फ़िडुशियरीज की आवश्यकता होगी। साथ हीउद्देश्य पूरा होने के बाद, डेटा को डिलीट भी करना होगा।

सामने आ रही जांकारियों के अनुसार, विधेयक व्यक्तियों को कई अधिकार भी प्रदान करता है, जिसमें जानकारी तक पहुंचने, सुधार करने या हटाने का अनुरोध कर सकने और शिकायतों के निवारण जैसे अधिकार शामिल है।

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दिलचस्प रूप से पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे में नियमों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले में संस्थाओं पर ₹250 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान होने की भी बात सामने आई है। 

विधेयक के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ‘भारतीय डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड’ की स्थापना करेगी। ‘डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड’ विवाद की स्थिति में फैसला ले सकेगा। इतना ही नहीं बल्कि नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का भी अधिकार दिया जाएगा।

वैसे यह भी कहा जा रहा है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था जैसे कारणों का हवाला देते हुए अपनी एजेंसियों को विधेयक के कुछ प्रावधानों से छूट प्रदान कर सकती है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सरकार के नियंत्रण वाली एजेंसियों को दी जा सकने वाली ये कथित छूट, लोगों के निजता के अधिकार के संभावित उल्लंघन को लेकर चिंता का सबब बन सकती है।

बताते चलें कि इस विधेयक का प्रारंभिक मसौदा (ड्राफ्ट) पिछले साल नवंबर में ही पेश किया गया था। इसके बाद कई सार्वजनिक परामर्श के दौर से गुजरते हुए, तमाम फीडबैक को ध्यान में रखते हुए, एक दूसरा मसौदा तैयार किया गया और फिर सरकार के कई मंत्रालयों ने भी आपस में इसको लेकर चर्चा की।

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