संपादक, न्यूज़NORTH
कैम्ब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) व्हिसलब्लोअर Brittany Kaiser ने आज नए दस्तावेज़ जारी किए हैं, जो साफ़ संकेत देते हैं कि Facebook ने फर्म से ईमेल पर दबी जुबान में स्वीकार किया है कि उसने 87 मिलियन फेसबुक उपयोगकर्ताओं के प्रोफाइल से जुड़े डेटा को डिलीट किया था।
बता दें 2014 में यह डेटा अनुचित तरीके से फेसबुक के डेवलपर प्लेटफॉर्म पर शोधकर्ताओं द्वारा पाया गया था। इसका उपयोग राजनीतिक विज्ञापनों के लिए किया गया था। इसके लिए Cambridge Analytica की ओर से फंडिंग भी प्रदान की जा रही थी।
दिसंबर 2015 में Guardian के एक आर्टिकल में Dr Aleksandr Spectre (Kogan) के बारे में यह ख़ुलासा किया गया था कि कैसे उन्होंने रिसर्च के लुए फेसबुक प्रोफाइल हासिल कीं और कैसे Cambridge Analytica ने अनुचित तरीके से उस डेटा का अधिग्रहण किया था।
बाद में वाशिंगटन सीनेट में इसकी सुनवाई में Facebook के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने माफ़ी माँगी कि वह यह जांचने में विफल रहने की Cambridge Analytica ने डाटा डिलीट कर दिया था।
उस समय उन्होंने कहा था;
“जब हमने Cambridge Analytica से सुना कि उन्होंने हमें बताया था कि वे डेटा का उपयोग नहीं कर रहे हैं और इसे डिलीट कर दिया है तो हमें लगा यह केस बंद हो चुका है।”
“इसके बाद हमें अपनी गलती का एहसास हुआ और बाद में हमनें अपनी प्राइवेसी पालिसी में कई बड़े संशोधन किये।”
वहीँ इसके बाद ब्रिटेन की संसद में फेसबुक सीटीओ, Mike Schroepfer ने कहा था;
“2015 के अंत में जब हमें पता चला कि Kogan ने डेटा शेयर किया है, तो हमने तुरंत हमारे प्लेटफॉर्म से TIYDL (पर्सनालिटी क्विज ऐप, जिसका उपयोग डेटा संग्रहण के लिए किया जा रहा था) को बैन कर दिया। और मांग की कि वह उस ऐप से प्राप्त सभी डेटा को डिलीट कर दें।
इसके साथ ही हमनें उन सभी से इस डेटा को डिलीट करने की अपील की, जिनके बारे में Kogan ने बताया था कि उसने उन्हें डेटा सप्लाई किया है, जिसमें Cambridge Analytica भी शामिल था, साथ ही हमें सभी पक्षों से यह सर्टिफिकेट भी देने को कहा कि उन्होनें डेटा डिलीट कर दिया है।”
लेकिन अब Kaiser द्वारा साझा की गई नई जानकारी के अनुसार, Facebook द्वारा भेजे गये मेल और Mike Schroepfer की बात में अंतर दिखाई पड़ता है। दरसल कंपनी के अधिकारिक ई-मेल में सिर्फ़ डेटा को डिलीट करने और उसका कन्फर्मेशन देने की बात सामने आई है।
लेकिन Schroepfer के कथन के अनुसार सर्टिफिकेट वाली चीज़ का जिक्र पूरे ई-मेल में कहीं भी नहीं है। जिसका दावा Schroepfer ने ब्रिटेन की संसद में किया था।
इसके बाद Facebook की डेटा प्राइवेसी को लेकर गंभीरता पर एक बार फ़िर से सवाल खड़े होने लगे हैं। और कंपनी एक बार फ़िर से सवालों के घेरे में आ गई है।