Emergency Marshal’s decision withdrawn South Korea: दक्षिण कोरिया में भारी विरोध और लोगों के आक्रोश के चलते राष्ट्रपति यून सुक को सिर्फ़ 6 घंटे के भीतर अपने ही फैसले से पीछे हटना पड़ा और साथ ही उन्हें अपने फैसले के लिए सफ़ाई भी पेश करनी पड़ी, यह पूरा मामला दक्षिण कोरिया में इमरजेंसी मार्शल लॉ से जुड़ा हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने देश में रात करीब 10:20 बजे मार्शल लॉ घोषित किया था, लेकिन दक्षिण कोरिया सरकार के इस फैसले के बाद देश में जमकर बवाल मचा, रात में ही लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए। जिसके बाद ख़ुद राष्ट्रपति को सामने आकर अपने फैसले में सफाई पेश करनी पड़ी और उक्त नए कानून को आनन फानन में सिर्फ 6 घंटे बाद अगले दिन सुबह करीब 4:20 बजे (स्थानीय समय) के अनुसार फैसला वापस लेना पड़ा।
क्या है मार्शल लॉ (Marshal’s law)
मार्शल लॉ किसी भी देश में सरकार द्वारा घोषित एक न्यायिक व्यवस्था होती है। इसमें सैन्य बलों को एक क्षेत्र पर शासन और नियंत्रण करने का अधिकार दिया जाता है। यह जरूरी नहीं होता कि मार्शल लॉ पूरे देश में ही लागू हो। इसे देश के किसी भी छोटे हिस्से में लगाया जा सकता है और इसे ही सैनिक कानून कहा जाता है।
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति को मार्शल लॉ लगाने की जरूरत इसलिए पड़ी कि दक्षिण कोरिया में नेशनल असेंबली चुनावों ने विपक्ष को भारी जनादेश दिया था। ऐसे में राष्ट्रपति यून के पास ज्यादा शक्तियां नहीं रही और राष्ट्रपति यून को कानूनों को पारित करने में सफलता नहीं मिली। राष्ट्रपति यून विधेयकों को वीटो करने पर मजबूर हो गए थे। लेकिन जैसे ही देश में राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू किया रात में ही देश में जमकर बवाल मचा, लोगों ने विरोध स्वरूप सड़को में प्रदर्शन शुरू कर दिया। विपक्षी पार्टियों के नेता और आम लोगों के बड़े विरोध के चलते राष्ट्रपति को अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा।
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उन्होंने अपने फैसले को लेकर राष्ट के नाम संबोधन में कहा कि, उनकी ओर से अचानक की गई मार्शल लॉ की घोषणा अल्पकालिक थी। बता दे, यह पूरा विवाद राष्ट्रपति और मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया सहित उदारवादी दलों के पास नेशनल असेंबली में बहुमत होने की वजह से शक्ति विभाजन (Emergency Marshal’s decision withdrawn South Korea) के कारण उपजा है।