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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पुरानी तिजोरी से निकले 500 साल पुराने सिक्के व शाही फरमान

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पुरानी तिजोरी से निकले 500 साल पुराने सिक्के व शाही फरमान

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 500 साल पुराने सोने के सिक्के निकले.
  • विश्वविद्यालय में शाही फरमान और ताम्रपत्र भी तिज़ोरी में से निकला.

Treasure found from old safe of Allahabad University: देश के सबसे पुराने और बड़े विश्वविद्यालय के में से एक Allahabad University की पुरानी तिजोरी में से खज़ाना प्राप्त हुआ हैं। विश्वविद्यालय के सबसे बड़े केन्द्रीय पुस्तकालय में दशकों से बंद एक तिज़ोरी में 500 साल से भी पुराने सिक्के प्राप्त हुए है। इसके साथ साथ तिजोरी में पर्शियन भाषा में लिखा शाही फरमान, ताम्रपत्र और विनय पठक भी उक्त तिज़ोरी से प्राप्त हुआ हैं।

तिज़ोरी खोलने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दो दिन तक उक्त पुरानी तिजोरी को ड्रिल मशीन और आरी से काटा गया, जब कही जाकर तिजोरी के अंदर मौजूद सामान विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास आया। तिजोरी में मिले खज़ाना स्वरूप सिक्के और पुरानी वस्तुओं को बहुत अधिक बेशकीमती बताया जा रहा है, जिसे अब आम लोगों के देखने के लिए इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के म्यूजियम में रखने की तैयारी की जा रही है।

सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि अंकित

इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पीआरओ प्रोफेसर जया कपूर के मुताबिक तिजोरी के लॉकर से निकले सोने के सिक्के तकरीबन पांच सौ साल पुराने है, इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि अंकित है। सोने के इन सिक्कों का वजन तकरीबन 7.34 ग्राम है और इसका व्यास 21 MM है, यह सभी सिक्के गोल आकार के हैं। सोने के अलावा कुछ अन्य धातुओं के भी सिक्के हैं, सिक्कों की संख्या तकरीबन पांच सौ है।

यूनिवर्सिटी में कब और कैसे आए?

तिजोरी में रखी इन सामग्रियों को लेकर पिछले काफी दिनों से सवाल खड़े हो रहे थे, हर कोई तिजोरी के अंदर मौजूद चीज़ों को लेकर जानना चाह रहा था कि आखिरकार उक्त तिज़ोरी में है, क्या!

जब तिजोरी को खोलने का वक्त आया तो तिजोरी खुलवाने का काम हाई लेवल कमेटी की निगरानी में हुआ। तिजोरी को खोलने के लिए तीन चाबियों की जरूरत थी। जिसमें से एक चाबी विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास मौजूद थी, लेकिन दो चाबियां गुम हो जानें की वजह से इलेक्ट्रॉनिक आरी और ड्रिल मशीन के जरिए दो दिनों की कड़ी मेहनत के बाद तिजोरी को काटा गया।

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बताया जा रहा है कि पहली बार साल 1998 में साफ सफाई के दौरान यह चीज मिलने पर यूनिवर्सिटी के तत्कालीन प्रशासन ने इन्हें लाइब्रेरी हॉल में एक तिजोरी मैं रख दिया था, उस समय इनके महत्व और उपयोगिता के बारे में जानकारी नहीं (Treasure found from old safe of Allahabad University) जुटाई गई थी।

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