Indore made record of NOTA in Lok Sabha elections: आज लोकसभा चुनावों में हुई वोटिंग की गणना का दिन है, चुनाव आयोग आज घोषित कर देगा कि इस बार के आम चुनावों में किस पार्टी ने बाजी मारी हैं, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए या फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन कुछ चमत्कार करके दिखाता है यह तो शाम तक साफ हो जाएगा।
परंतु इन आम लोकसभा चुनावों के बीच मध्यप्रदेश की एक सीट की पूरे देशभर में चर्चा थी, वह था इंदौर लोकसभा क्षेत्र जहां कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी, कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। जिसमें कहा जा रहा था कि, भाजपा को इंदौर में लोकसभा सीट में जीत सुनिश्चित है पंरतु इस बात का विरोध करते हुए कांग्रेस पार्टी ने इंदौर के मतदाताओं से नोटा के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी, जिसे शायद मतदाताओं ने भी हाथों हाथ लिया। यही वजह रही स्वच्छता में पूरे देश में अव्वल रहने वाला इंदौर नोटा दबाने के मामले में भी नंबर वन बन गया है।
जी हां! इंदौर में अभी तक के जारी आंकड़ों के अनुसार ने 90,257 वोट प्राप्त करते हुए किसी भी क्षेत्र में नोटा (किसी भी प्रत्याशी से सहमत नही) मामले में बिहार के (Indore made record of NOTA in Lok Sabha elections) गोपालगंज का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
गोपालगंज के नाम था रिकॉर्ड
अब तक नोटा सबसे अधिक मतदाताओं की पसंद वाले लोकसभा क्षेत्र में बिहार के गोपालगंज का नाम था, जहा पिछले 2019 लोकसभा चुनावों में 51,660 मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट ‘नोटा’ के खाते में गए थे। अब यह रिकॉर्ड मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने तोड़ दिया है।
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गौरतलब हो, इंदौर में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना नाम वापस लेकर भाजपा का हाथ थाम लिया था,जिससे भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी निवर्तमान सांसद शंकर लालवानी की जीत को लेकर पार्टी आश्वत थीं और उनके रिकॉर्ड मतों से जीतने के दावे किए जा रहे थे। इसे लेकर कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से भावुक अपील की कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर ‘नोटा’ का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएं।