संपादक, न्यूज़NORTH
Vote Counting Rules: 7 चरणों के तहत 1 जून को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब सबकी निगाहे वोट काउंटिंग पर है। असल में मंगलवार को 4 जून के दिन मतगणना होनी है। लेकिन इस बीच वोट काउंटिंग की निष्पक्षता को लेकर कई तरह के सवाल व नियमों को लेकर आपत्ति उठाई जाने लगी हैं। ऐसे में देश के आम लोगों को भी यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आखिर चुनावों आयोग ने मतगणना को लेकर क्या-क्या नियम तय किए हैं।
मतगणना की प्रक्रिया तब सुर्ख़ियो में आई जब रविवार को विपक्षी दलों मुख्यतः कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल कुछ नियमों के संबंध में चुनाव आयोग के पास पहुंचा। इतना ही नहीं बल्कि इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल भी ECI के पास अपनी बात रखने गया।
Loksabha Elections 2024: Vote Counting
इन चुनावों के चलते कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए इंडिया गठबंधन ने मतगणना से पहले चुनाव आयोग से EVM की गिनती को अंतिम रूप देने से पहले पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी किए जाने का अनुरोध किया है, साथ ही इस संबंध में सभी रिटर्निंग अधिकारियों को आयोग की ओर से आधिकारिक निर्देश जारी किए जाने का भी जिक्र किया गया है।
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हुआ ये है कि इस बार सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के बजाए, अन्य कुछ शर्तों के साथ चुनिंदा लोगों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने की सुविधा की गई थी। ऐसे में जाहिर है 2024 के आम चुनावों में इस बार पोस्टल बैलेट की संख्या काफी बढ़ सकती है। और विपक्ष अब इसी को लेकर चिंतित नजर आ रहा है। विपक्ष का कहना है कि उनकी मांग सिर्फ पूरी पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष रूप से प्रक्रिया को संपन्न करने की है। इस बीच फ़ॉर्म-17 C को लेकर भी विवाद खड़ा होता दिख रहा है।
क्या है नियम?
बता दें, साल 2019 के लोकसभा चुनावों तक पोस्टल बैलेट की गिनती पहले की जाती थी और उसके 30 मिनट बाद ही ईवीएम की गिनती शुरू होती थी। साथ ही ईवीएम की गिनती पूरी होने से पहले सभी पोस्टल बैलेट की गिनती को पूरा कर लिया जाता था।
और इसी को लेकर अब इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से मई 2019 के पत्र को वापस लेने और चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 54A के अनुरूप दिशानिर्देश जारी किए जाने का अनुरोध किया है। जैसा हमनें पहले ही बताया कि इंडिया गठबंधन की माँग है कि EVM की गिनती से पहले पूर्व की भाँति पोस्टल बैलेट की गिनती को पूरा किया जाए।
यह इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 22.71 लाख डाक मतपत्र पड़े थे। उस दौरान यह कुल 60.76 करोड़ वैध वोटों का 0.37% था। लेकिन इस बार डाक मतपत्रों की संख्या और भी अधिक हो सकती है। असल में 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और कोविड-19 के चलते बीमार लोगों को भी पोस्टल बैलेट के जरिये मतदान करने की सुविधा दी गई है।