PM Modi statement “Electoral Bond Scheme”: केंद्र सरकार के चुनावी बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में असंवैधानिक बताते हुए योजना में रोक लगा दी थी इसके साथ ही योजना में प्राप्त चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने के आदेश दिए थे।
चूंकि यह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना थी तो आलोचना का शिकार प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी को किया गया, विपक्ष सहित कई मीडिया संस्थान ने नरेंद्र मोदी सरकार से तीखे सवाल किए। अब इन सवालों का जबाव खुद पीएम मोदी ने दिया है।
दरअसल लोकसभा चुनावों से पूर्व पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी को एक साक्षात्कार दिया है, जिसमें उनके द्वारा देश में उठाए जा रहें मुद्दों को लेकर अपनी और उनकी पार्टी की राय रखी है, इसी क्रम में चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर सरकार की आलोचना को लेकर उनका बयान आया है, उन्होंने विपक्षी पार्टियों के ऊपर चुनावी बांड योजना पर “झूठ फैलाने” का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है के जबाव में PM ने कहा, “जब ईमानदारी से विचार किया जाएगा तो हर किसी को पछतावा होगा।”
अपने बयान में उन्होंने आगे कहा, चुनावी बॉन्ड की योजना का उद्देश्य चुनावों में काले धन पर लगाम लगाना था, लेकिन विपक्ष सरकार पर इसका आरोप लगाकर भागना चाहती है।
#WATCH | On electoral bonds, PM Narendra Modi says, "Due to electoral bonds you are getting the trail of the money. Which company gave it? How did they give it? Where did they give it? And that is why I say when they (opposition) will think honestly, everyone will regret it (on… pic.twitter.com/iDavUpwvP2
— ANI (@ANI) April 15, 2024
इलेक्टोरल बॉन्ड थे, तो आपको मनी का ट्रेल मिल पा रहा है कि आपको किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया कहां दिया? और इसलिए मैं कहता हूं कि सब लोग पछताएंगे, ईमानदारी से सोचेंगे तो सब लोग पछताएंगे।
“छापे के बाद मिले चंदे” वाले आरोप पर पीएम का बयान
विपक्षी पार्टियों के द्वारा जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर चंदा वसूली के आरोप को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि, जिन 16 कंपनियों ने चंदा दिया, उनमें से केवल 37 प्रतिशत राशि भाजपा को और 63 प्रतिशत भाजपा विरोधी विपक्षी दलों को गई। चुनावी बॉन्ड योजना में देश भर की 3000 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए पार्टियों को चंदा दिया। विपक्ष (PM Modi statement “Electoral Bond Scheme”) सिर्फ़ आरोप लगाकर भागना चाहती है, चुनावी बॉन्ड योजना भारत के चुनावों से काले धन के उपयोग को खत्म करने के लिए किया गया एक प्रयास था, जिसे लेकर ईमानदारी से विचार किया जायेगा तो हर किसी को पछतावा होगा।
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गौरतलब हो, 15 फ़रवरी को देश की शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए योजना में रोक लगा दी थी, जिसे लेकर देश भर में काफ़ी चर्चाओं के बीच भाजपा सरकार से विपक्ष ने कई सवाल किए थे हालांकि इस दौरान भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों ने भी इस बॉन्ड योजना के तहत अलग अलग कंपनियों से चंदा प्राप्त किया था जिसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट से आम लोगों के बीच पहुंची थी।