SBI handed details of electoral bonds: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मंगलवार शाम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से किए गए योगदान का डेटा भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को सौंप दिया, इस बाबत Ani न्यूज एजेंसी ने अपने X अकाउंट में जानकारी शेयर की है।
In compliance of the Supreme Court's directions to the SBI, contained in its order dated Feb 15 & March 11, 2024, data on electoral bonds has been supplied by the State Bank of India to the Election Commission of India, today: ECI pic.twitter.com/GaeBVyomhn
— ANI (@ANI) March 12, 2024
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को सोमवार को फटकार लगाते हुए चुनावी बॉन्ड संबंधी जानकारी देने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया था कि SBI 12 मार्च को कामकाजी घंटे खत्म होने तक इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे।
कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक, एसबीआई ने मंगलवार (12 मार्च 2024) को इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा है। इस डेटा को चुनाव आयोग जल्द अपनी आधिकारिक वेबसाइट में सार्वजनिक करेंगी। इस संबध में कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी एसबीआई की ओर से शेयर की गई जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त
इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इसे असंवैधानिक करार दिया था. इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत दिए गए ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन माना गया था, इसके बाद कोर्ट ने एसबीआई को स्पृष्ट निर्देश देते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने का फैसला सुनाया था। यादि एसबीआई (SBI handed details of electoral bonds) तय सीमा में यह नही कर पाता तो उसके ऊपर कोर्ट के आदेश की अवमानना की चेतावनी भी जारी की गई थी।
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गौरतलब हो, इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय ज़रिया है. यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है, इसे केन्द्र सरकार ने 29 जनवरी 2018 को क़ानूनन लागू कर दिया था, लेकिन केंद्र सरकार की इस योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते हुए इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।