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नोएडा-एनसीआर: 20,000 से अधिक घर खरीदारों व किसानों के लिए बड़ी राहत – रिपोर्ट

नोएडा-एनसीआर: 20,000 से अधिक घर खरीदारों व किसानों के लिए बड़ी राहत – रिपोर्ट

  • 20,000 से अधिक घर खरीदारों व किसानों को मिल सकती है बड़ी राहत
  • जेपी इंफ्राटेक के मामले से जुड़ी एक बड़ी अपडेट आई सामने
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Jaypee InfraTech Noida: नोएडा-एनसीआर से एक बड़ी अपडेट निकल कर सामने आ रही है, जो हजारों घर खरीदारों और किसानों के लिए बेहद अहम है। असल में मामला जेपी इंफ्राटेक से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि जेपी इंफ्राटेक के लगभग 20,000 घर खरीदारों एवं 10,000 से अधिक किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण संबंधित प्रस्ताव को आगामी प्रदेश कैबिनेट की बैठक में जल्द पेश किया जा सकता है। जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण करने वाली कंपनी के प्रस्ताव पर फिलहाल यमुना प्राधिकरण द्वारा सहमति जताए जाने की बात सामने आई है। इसके बाद से ही इसके जल्द प्रदेश कैबिनेट में स्वीकृति के लिए पेश हो सकने की अटकलें तेज हो गई हैं।

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हिंदुस्तान की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना प्राधिकरण ने नोएडा के कुछ सेक्टर्स में संबंधित ग्रुप की आवासीय परियोजना को पूरा करने के लिए एफएआर बढ़ाने, एक्सप्रेस-वे पर टोल शुल्क वसूली की अवधि 15 सालों के लिए बढ़ाए जाने जैसे कुछ अन्य प्रस्तावों पर भी सहमति दी है।

आपको याद दिला दें, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इसके पहले जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण कर रही कंपनी के पक्ष में फैसला दिया था। साथ ही ट्रिब्यूनल की ओर से यमुना प्राधिकरण के कई दावों को अस्वीकार कर दिया गया था। फिलहाल एक बार प्रदेश कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव को अनुमति दिए जाने के बाद, ट्रिब्यूनल में इस मामले पर जल्द फैसला आ सकता है।

असल में यमुना प्राधिकरण की ओर से नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल में इसे चुनौती दी गई थी। इसमें प्राधिकरण का तर्क जेपी इंफ्राटेक से प्रभावित किसानों को 64.7 प्रतिशत तक अतिरिक्त मुआवजा के लिए ₹1,689 करोड़ की राशि से संबंधित था। प्राधिकरण ने इसके ख़िलाफ अपील की थी, जिस पर फैसला आना बाकी है।

लेकिन इस बीच खबर आ रही है कि यमुना प्राधिकरण और जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण कर रही कंपनी के बीच कई पहलुओं को लेकर सहमति बन गई है। ऐसे में अगर इस दिशा में तेजी देखनें को मिलती है तो यह जेपी समूह की आवासीय योजना में फंसे 20,000 किसानों के लिए बड़ी राहत होगी। असल में परियोजना अधूरी रह जाने के कारण सालों से वह अपने घरों की आस लगाए बैठे हैं।

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इतना ही नहीं बल्कि यमुना एक्सप्रेस वे आदि के लिए हुए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा व अन्य जगहों के लगभग 10,000 किसानों को भी 64.7 प्रतिशत तक के अतिरिक्त मुआवजे का इंतजार है। ऐसे में सभी को एनसीएलएटी से अंतिम निर्णय का इंतजार है।

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