संपादक, न्यूज़NORTH
11th century Jain idols found in Mysuru: मैसूर के वरुणा गांव में एक नाले की खुदाई के दौरान 11वीं शताब्दी की दो से तीन टूटी हुई जैन मूर्तियां मिलीं हैं। सामने आ रही खबरों के अनुसार, नाले की खुदाई के दौरान ही स्थानीय निवासियों को क्षतिग्रस्त मूर्ति मिली। इसके बाद वहाँ टूटी हुई जैन मूर्तियों की पहचान की गई और इस संबंध में पुरातत्व विभाग को सूचना दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैसूर जिले के वरुणा शहर में अंबेडकर रोड पर जल निकासी कार्यों के लिए खुदाई की जा रही थी। इस दौरान नगर निगम के कर्मचारियों को उस समय हैरानी हुई जब जैन धर्म से संबंधित मूर्तियाँ निकलीं। बताया जा रहा है कि मूर्तियों के आसपास किसी प्रकार का कोई शिलालेख नहीं मिला है, जिसके चलते विशेषज्ञों के लिए इनकी सटीक पहचान करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
Jain idols found in Mysuru
इस दौरान प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर रंगराज, पुरातत्व विभाग की उप निदेशक मंजुला शशिधर, धर्मस्थल के प्रतिनिधि प्रसन्न कुमार और मैसूर निवासी विनोद जैन की एक टीम ने मौके का दौरा करते हुए, मूर्तिकला को पुरातत्व संग्रहालय पहुँचाया। प्रोफेसर रंगराज के मुताबिक, वरुणा, वजमंगला, तालाकाडु, हेममिगे, मुगुर और टी नरसीपुर जैसे स्थान इतिहास में प्रमुख जैन केंद्रों में शुमार रहे हैं, ऐसे में यहाँ बहुत सारी मूर्तियाँ मौजूद हो सकती हैं।
Drainage work in Mysuru unearths 11th century Jain sculptures
Drainage work on Ambedkar Road in Varuna town, Mysuru district, unearthed three Jain sculptures from the 11th century AD. The sculptures, including an idol of goddess Kushmandini Devi and two Jain Tirthankaras, we… pic.twitter.com/gIwolaqecK— Sivakumar V (@veeyeskay) December 31, 2023
शहर के संग्रहालय में संरक्षित की गई इन पुरातात्विक कलाकृतियों की आगे की जाँच की जानी है। जानकारों के मुताबिक ये मूर्तियां 11वीं सदी की हो सकती हैं। इस दौरान यहाँ गंगा और होयसला राजवंशों का शासन रहा था। इसी के चलते वरुण, वरकोडु और वजमंगला जैसे स्थानों को महत्वपूर्ण जैन केडरों के रूप में देखा जाता है।
इन मूर्तियों में से एक देवी कुष्मांडिनी देवी की मूर्ति बताई जा रही है, जबकि अन्य मूर्ति जैन तीर्थंकरों की हैं। कुछ मूर्ति छतिग्रस्त भी बताई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर भी ये तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं।
जानकारों के मुताबिक, 5वीं से लेकर 13-14वीं शताब्दी के बीच इस क्षेत्र में जैन धर्म बहुत मजबूत रहा था। इन जगहों पर जैन धर्म से संबंधित कई शिलालेख और स्मारक पाए जाने की संभावना बनी रहती है।