UPSC winners can’t have ad deals with coaching classes: यूपीएससी (UPSC)सिविल सेवा में चयनित अभियार्थी को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आई है। अब यूपीएसी (UPSC) एग्जाम के बाद चयन अभियार्थी कोचिंग संस्थान के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार करने की इजाज़त नहीं दी जायेंगी। DOPT (Department of Personnel & Training) द्वारा यूपीएससी परीक्षा में सफल सभी अभ्यर्थियों के लिए एक आदेश जारी किया जा सकता है, इसमें सभी यूपीएससी परीक्षा में टॉपर सहित सफल अभियार्थियो को ज्वाइनिंग लेटर साइन करने के बाद कोचिंग संस्थान से अपने विज्ञापन अनुबंध खत्म करने होंगे।
UPSC winners can’t ad deals: भ्रामक विज्ञापन का हिस्सा बन जाते है चयनित अभियार्थी
दरअसल UPSC परीक्षा देश की शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं में से है, इसमें चयन प्रकिया के लिए छात्र तमाम तरह की शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करते हैं, ऐसे में जब किसी छात्र का चयन यूपीएससी परीक्षा में हो जाता है तब यह शैक्षणिक संस्थान सफल छात्रों के साथ एक समझौते के तहत उनके नाम या प्रोफाइल का उपयोग करके अपनी संस्थान के विज्ञापन के उपयोग में लेते है, जिससे कि अन्य छात्र प्रभावित होकर उस संस्थान में एडमिशन ले इसके लिए उन सभी सफ़ल अभ्यर्थियों को पैसा भी दिया जाता है।
मगर अब मिंट में छपी रिपोर्ट में CCPA (Central Consumer Protection Authority) और DOPT (Department of Personnel & Training) की बातचीत के आधार में कहा गया है, कि यूपीएससी परीक्षा में टॉपर सहित सभी सफ़ल छात्रों को ज्वाइनिंग लेटर साइन करने के बाद शिक्षण संस्थानों के साथ किया गया किसी भी प्रकार का विज्ञापन अनुबंध खत्म करना होंगा।
UPSC winners can’t ad deals: शिक्षण संस्थानों के ऊपर 1 -1 लाख रुपए का जुर्माना
गौरतलब हो, CCPA (सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी) के पास ऐसे कई मामले सामने है, जब कोचिंग संस्थानों के ऊपर भ्रामक प्रचार करके परीक्षाओं में सफल रहे अभ्यार्थियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर आम लोगों और विद्यार्थियों को धोखा दिया रहा है। जी बिजनेस की अक्टूबर माह की एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया आईएएस एग्जाम की तैयारी करवाने वाले चार शिक्षण संस्थानों के ऊपर 1 -1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था साथ ही 20 से अधिक आईएएस एग्जाम की तैयारी कराने वाले संस्थानों को नोटिस जारी किया गया था।
इन कोचिंग संस्थानों द्वारा जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर अपने छात्र के समान रैंक दिलाने का दावा किया जाता है जबकि सफल उम्मीदवार ने विभिन्न विषयों और प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा के लिए कई संस्थानों में कोचिंग ली होती है,ये संस्थान स्पष्ट रूप से यह नहीं बताते हैं कि वे छात्र संस्थान में किन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे थे। चूंकि अब कोचिंग संस्थान एक उद्योग के भांति कार्य कर रहे होते है जिसमें नए छात्र एक उपभोक्ता होता है, ऐसे में यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं की धारा उलंघन का कार्य है।
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UPSC winners can’t ad deals: CCPA ने DOPT को पत्र लिखकर दिया सुझाव
इन्ही सब मामलों और उपभोक्ता के रूप में छात्रों के उपभोक्ता अधिकार संरक्षण के लिए CCPA ने DOPT को पत्र लिखकर सुझाव दिया है, वह सभी चयनित अभ्यर्थियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा(आचरण) नियम,1964 लागू करें, जिससे ये स्पष्ट आदेश होते है,कोई भी शासकीय कर्मचारी अधिकारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यापार या व्यवसाय, रोजगार से नही जुड़ सकता।