संपादक, न्यूज़NORTH
Govt Orders Probe into Byju’s Account Books?: दिग्गज एडटेक स्टार्टअप BYJU’S की मुश्किलें कम होने के बजाए, बढ़ती नजर आ रही हैं। सामने आ रही हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब केंद्र सरकार ने इस भारतीय एडटेक स्टार्टअप की अकाउंट बुक्स या कहें तो बही खातों की जाँच के आदेश के दिए हैं।
जी हाँ! ब्लूमबर्ग की एक नई रिपोर्ट की मानें तो भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने BYJU’S की अकाउंट बुक्स की जाँच संबंधित आदेश देते हुए, छह हफ्तों के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
Govt Orders Probe Against Byju’s?
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि सरकार द्वारा इस जाँच के साथ ही तमाम मुद्दों को लेकर कंपनी का आंतरिक आँकलन भी किया जाएगा। इसके बाद समग्र रूप से सामने आए नतीजों के आधार पर सरकार यह निर्णय करेगी कि क्या इस मामले को ‘सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस’ (SFIO) को सौंपनें की जरूरत है या नहीं?
यह इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि पिछले हफ्ते ही सामने आई खबरों में कहा जा रहा था कि सरकार का संबंधित मंत्रालय Deloitte के इस्तीफे और BYJU’S की लंबित वित्तीय रिपोर्टिंग के मामले की जाँच में SFIO को शामिल करने का मन बना रहा है।
BYJU’S पर ये नया संकट ऐसे वक्त में आया है ,जब कंपनी पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट व विवादों के साथ ही साथ कॉर्पोरेट गवर्नेंस में खामियों जैसे तमाम आरोपों तथा आलोचना का सामना कर रही है। इसी बीच कंपनी ने हजारों की संख्या में छंटनियाँ भी (Layoffs) भी की हैं।
इस बीच MZM Legal के मैनेजिंग पार्टनर, जुल्फिकार मेमन ने एक ईमेल का जवाब देते हुए रॉयटर्स को बताया कि
“यह एक नियमित निरीक्षण होता है, जिसमें BYJU’S अपनी ओर से पूरा सहयोग करने और सभी आवश्यक स्पष्टीकरण प्रदान करने का काम करेगी।”
वैसे फिलहाल सबकी निगाहें कंपनी की वित्त वर्ष 2022 से संबंधित ऑडिट रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही हैं। कुछ ही दिन पहले यह भी खबर आई थी कि 4 जुलाई को शेयरधारकों की एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) में कंपनी ने एक बोर्ड एडवाइजरी कमेटी (BAC) के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया।
इस कमेटी मूल रूप से उपयुक्त बोर्ड स्ट्रक्चर और गवर्नेंस सिस्टम के निर्माण को लेकर कंपनी के सीईओ को सलाह देने और उनका मार्गदर्शन करने का काम करेगी।
क्या है मुद्दा?
असल में कुछ ही दिनों पहले लोन प्रदाताओं के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे और हाल में वैल्यूएशन में कटौती दर्ज करने वाले BYJU’S के बोर्ड से तीन सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफा देने वालों में कंपनी के प्रमुख निवेशक – Sequoia Capital India (अब Peak XV), Chan-Zuckerberg Initiative और Naspers Ventures का प्रतिनिधित्व करने वाले बोर्ड सदस्य शामिल थे। इसके बाद कंपनी के बोर्ड में मुख्य रूप से केवल संस्थापक के परिवार के सदस्य ही शेष रह गए हैं।
इतना ही नहीं बल्कि, “काफी समय से लंबित” वित्तीय विवरणों जैसे कारणों का हवाला देते हुए, ऑडिटिंग की जिम्मेदारी निभा रहे Deloitte ने भी ‘तत्काल प्रभाव’ से BYJU’S के ऑडिटर की भूमिका व जिम्मेदारी छोड़ दी है।
दिलचस्प ये है कि इसी साल अप्रैल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा बेंगलुरु में कंपनी के संस्थापक और सीईओ, रवींद्रन बायजू (Raveendran Byju) और उनकी कंपनी, थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Think & Learn Private Limited) से संबंधित तीन स्थानों पर छापेमारी की बात भी सामने आई थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यह करवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) नियमों के तहत की थी। इस छापेमारी के दौरान जाँच एजेंसी ने कुछ ‘डॉक्यूमेंट्स’ और ‘डिजिटल डेटा’ जब्त भी किए थे, जिसकी जानकारी खुद ईडी ने ट्वीट करके दी थी।
वैसे BYJU’S और विवादों का रिश्ता नया नहीं है। इसके पहले भी कंपनी अपने काम करने के तरीके व अन्य तमाम मुद्दों को लेकर भी कई गंभीर आरोपों में घिरी नजर आती रही है।