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Ola ड्राईवर पार्टनर्स को रिझाने के लिए Incentive-Driven मॉडल को छोड़, अपनाएगी Standardised Commissions का तरीका

Ola ड्राईवर पार्टनर्स को रिझाने के लिए Incentive-Driven मॉडल को छोड़, अपनाएगी Standardised Commissions का तरीका

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ड्राइवर पार्टनर्स को रिझाने और उनकी कमाई को उनके लिए और भी पारदर्शी बनाने के मकसद से भारत के कैब एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म Ola ने अब Incentive-Driven मॉडल को छोड़ Standardised Commissions के तरीके को अपनाने के फ़ैसला किया है।

दिलचस्प रूप से Ola का यह निर्णय ऐसे वक़्त में आया है जब भारत सरकार कैब प्रदाता कंपनियों को रेगुलेट करने और मूल्य निर्धारण इत्यादि को लेकर एक निश्चित सीमा तय करने पर विचार कर रही है।

इसके साथ ही Ola अब लीजिंग बिज़नेस मॉडल पर अधिक ध्यान केन्द्रित करते हुए, नए हाई-मार्जिन श्रेणियों जैसे कॉर्पोरेट, सेल्फ-ड्राइव और स्कूटर रेंटल को मजबूत करने के प्रयास भी कर रहा है।

दरसल Ola अब Standardised Commissions मॉडल के तहत अपने ड्राईवर पार्टनर्स को स्पष्ट रूप से उनकी आय के बारे में सटीकता प्रदान करते हुए ड्राइवरों पर 25% कमीशन शुल्क लगाएगी। हालाँकि इसमें राज्यों द्वारा लगाए गए टैक्स शामिल नहीं किये गये हैं।

इससे पहले अपने ड्राइवर पार्टनर्स के लिए Ola ‘फिक्स्ड और इंसेंटिव’ आधारित पेमेंट मॉडल का एक मिश्रण बनाकर चल रहा था। लेकिन फ़िलहाल कंपनी ड्राइवरों को प्रोत्साहन के रूप में कमाई का 5% तक दे रही है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कटौती है।

वही अब कंपनी भले कमीशन स्ट्रक्चर को फिर से लागू कर रही है, लेकिन इसको लेकर कुछ अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि सरकार की आगामी नीति इस कमीशन स्ट्रक्चर को भी रेगुलेट कर सकती है।

कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत सरकार कैब एग्रीगेटरों द्वारा प्रत्येक सवारी के किराए पर कमीशन के रूप में 10% तक का कैप लगाने पर भी विचार कर रही है। साथ ही खबर यह भी है कि सरकार ‘सर्ज प्राइस’ को भी मूल किराए से दुगने तक ही सीमित करने पर विचार कर रही है।

इस बीच भारतीय बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर Ola और Uber के बीच भी जंग तेज हो गई है और इसमें भी सबसे मुख्य रहता है ड्राइवर पार्टनर्स को शामिल करते रहना। दरसल अक्सर ड्राईवर पार्टनर्स कमीशन या प्रोत्साहन राशि में कमी के चलते कंपनियों का साथ छोड़ते नज़र आते रहते हैं।

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यहाँ तक कि देश भर में ड्राईवर पार्टनर्स द्वारा कई मौकों पर इन मुद्दों को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन भी किए गए हैं।

दरसल Ola और Uber दोनों ने ही देश में अपने आगाज़ के समय अपने ड्राइवर पार्टनर्स को भारी कमीशन की पेशकश की थी, जिसके परिणामस्वरूप ड्राइवर्स ने अच्छी ख़ासी आय अर्जित की थी। लेकिन बाज़ार में पैर ज़माने के बाद दोनों ही कंपनियों ने इन कमीशन को कम करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे अब ड्राईवर पार्टनर्स को भी इसका एहसास होने लगा है।

इस बीच आपको बता दें Ola अपने प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग दो मिलियन सक्रिय ड्राइवर पार्टनर्स होने का दावा करती है। वहीँ 2018-19 में कंपनी का राजस्व 16% बढ़कर 2,155 करोड़ रूपये हो गया है। वहीँ दूसरी ओर Uber ने पिछले साल अपने भारत में अपने ऑपरेशन से $9.3 मिलियन का लाभ कमाया है।

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