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FDI नियमों के उल्लंघन को लेकर ‘सरकार’ और ‘ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म’ आमने-सामने

FDI नियमों के उल्लंघन को लेकर ‘सरकार’ और ‘ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म’ आमने-सामने

आपको शायद पता हो कि मौजूदा समय में सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म और ऑफलाइन विक्रेताओं के बीच विवाद के निपटारे का प्रयास कर रही है

दरसल ऑफलाइन विक्रेताओं की यह शिकायत रही हैं कि ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म FDI सहित कई सरकारी नियमों का उल्लंघन करके ग्राहकों को बेहद सस्ती कीमत पर उत्पाद बेच रहें हैं जिनके चलते ऑफलाइन विक्रेताओं को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है

आपको बता दें इसी के चलते 5 नवंबर को Amazon India के प्रमुख अमित अग्रवाल के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चर्चा की

लेकिन खास यह है कि इस चर्चा के बाद मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारीयों के मुताबिक पीयूष गोयल ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्त निर्देश दिया है कि अगर वे अपने प्लेटफॉर्म पर FDI नियमों का उल्लंघन करते हुए ‘भारी छूट’ देकर ग्राहकों को लुभाना बंद नहीं करते हैं, तो उन पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी।

ET में छपी के रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा,

“ईकॉमर्स कंपनियों को नियमों का पालन करना पड़ेगा और इसलिए हमनें उन्हें गलत तरीके से भारी छुट प्रदान करने को लेकर चेतावनी भी दी है।”

साथ ही उस अधिकारी ने यह भी याद दिलाया कि कई ग्लोबल ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप सिर्फ़ भारत में ही नहीं लग रहा है, बल्कि वह Amazon जैसे प्लेटफ़ॉर्म अमेरिका और यूरोपीय में भी ऐसे आरोपों से घिरे हुए हैं।

आपको बता दें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) ने पिछले साल कहा था कि देश में ऑनलाइन मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म जगत में Flipkart और Amazon प्रमुख रोल में नज़र नहीं आए इसलिए उन्होंने Competition Act की धारा 4 का उल्लंघन नहीं किया था।

इस बीच Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT) इन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म द्वारा FDI नियमों के उल्लंघन के संभावित मामलों की जाँच कर रहा है।

इस दौरान DPIIT ने ऑनलाइन मार्केटप्लेस के अधिकारीयों और साथ ही ऑफलाइन समूहों की साथ बैठक भी करवाई, जिन्होंने प्लेटफार्मों पर नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया है।

दिलचस्प तो यह है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) हमेशा से इन प्लेटफ़ॉर्मो पर न सिर्फ़ FDI नियमों के उल्लंघन का आरोप लगता आ रहा है, बल्कि साथ ही यह फ़ेस्टिवल सीजन के दौरान भारी छूट और लुभावने कीमतों के जरिये ऑफलाइन बाज़ार को नुकसान पहुँचाने का भी आरोप लगता रहा है।

CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने गुरुवार को एक बयान में कहा,

“ऑनलाइन मार्केटप्लेस प्लेटफ़ॉर्म का बिजनेस मॉडल गलत तरीके से काम करता है, बड़े बड़े निवेशकों के जरिये वह खूब पैसा बहा कर बाजार पर एकाधिकार रखने का प्रसास करते हैं।”

आँकड़ो की माने तो Flipkart और Amazon जैसी ईकॉमर्स कंपनियों ने इस फ़ेस्टिवल सीजन में बिक्री के लिहाज़ से 39,000 करोड़ रुपये तक की कमाई की है।

Amazon और Flipkart के पास भी हैं अपने तर्क

जहाँ एक तरफ सरकार और ऑफलाइन विक्रेताओं का समूह इन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मो द्वारा FDI सहित कई नियमों के उल्लंघन की बात कर रहा है, वहीँ इन कंपनियों के पास भी कुछ मजबूत तर्क नज़र आते हैं।

दरसल इस मुद्दे पर Flipkart और Amazon का कहना है कि वे अपने बिज़नेस को बढ़ाने और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में निवेश की वजह से अपने भारतीय ऑपरेशन में नुकसान उठा रहें हैं। लेकिन यह कहना गलत है कि वह गाल्ट तरीके से बेहद सस्ती क़ीमतें ऑफर करके ऑफ़लाइन व्यापार लॉबी  को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहें हैं।

इसके साथ ही इन कंपनियों ने अधिकारीयों का दावा है कि उन्होंने DPIIT को इस बात की जानकारी दी है कि वह अपने वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क, टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों के निर्माण को लेकर बड़े बड़े निवेश कर रहें हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि वह अपने इन कार्यों के दौरान सभी कानूनों और FDI नियमों का भी पालन कर रहें हैं।

साथ ही DPIIT के सवालों के जवाब के दौरान इन कंपनियों की ओर से एक अधिकारी ने यह भी कहा;

“सभी विक्रेताओं के पास लाइव प्राइस डैशबोर्ड तक पहुंच होती है, वहां वह एक-दूसरे की कीमत देख सकते हैं और फिर स्वतंत्र रूप से छूट देने या ना देने का फैसला कर सकते हैं, छूट में कंपनी की कोई भूमिका नहीं होती है।”

कंपनियों के तर्क यह भी रहा कि उनके प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े विक्रेताओं के पास पूरे देशभर तक पहुँच होती है, और कम कीमतों की पेशकश करने के बाद भी वह बड़े पैमाने पर उत्पाद बेच कर अच्छा लाभ कम पाते हैं।

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साथ ही ET के अनुसार इन कंपनियों की ओर से एक अधिकारी ने कहा

“विक्रेता सीधे निर्माताओं से भी प्रोडक्ट्स मंगवाते हैं, जिनके चलते उन्हिएँ ऑफलाइन स्टोर की तुलना में बिक्री पर अधिक मार्जिन मिल जाता है।”

इसके साथ ही आपको बता दें कि DPIIT ने Confederation of All India Traders (CAIT) के आरोपों के बाद दोनों ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म को एक विस्तृत प्रश्नों का एक सेट भेजा था जिसने उन्होंने फ़ेस्टिवल सीजन की बिक्री के दौरान भारी छूट देकर उठाए गये ख़र्चे, FDI नियमों के उल्लंघन, और ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं की दिवाली बिक्री प्रभावित कर 40-50% तक गिराने संबंधित विषयों पर जवाब माँगा था।

जिसके बाद इन कंपनियों का कहना है कि इन्होंने पूछे गये हर सवाल का जवाब दिया है।

Flipkart ने इस विषय पर कहा कि ऑनलाइन एक्सक्लूसिव तौर पर बेचे जाने वाले उत्पाद विक्रेताओं और ब्रांडों की मर्जी से ही बेचे जाते हैं जो उन्हें ऑफलाइन उपलब्ध ही नहीं करवाते हैं, और इसलिए गलत ढंग से भारी छूट देकर ग्राहकों को लुभाने का आरोप पूरी तरह से गलत है।

इसके साथ ही दोनों प्लेटफ़ॉर्म ने कहा कि वह छोटे और मध्यम व्यापारियों के साथ काम कर हजारों छोटे विक्रेताओं और ऑफ़लाइन व्यापारियों को बेहतर कमाई का विकल्प भी दे रहें हैं।

इसके साथ ही Amazon India के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी सरकार की नीतियों का समर्थन करती है और इसलिए पिछले छह वर्षों में कंपनी ने स्थानीय किराने की दुकानों के साथ मिलकर लगातार काम किया है।

इसने अपने हाल ही के कार्यक्रम में ही 23,000 से अधिक किराना स्टोर्स को प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ा है। और Amazon.in पर शीर्ष 2,000 विक्रेताओं में से लगभग 60% ऑफ़लाइन खुदरा विक्रेता ही हैं।

आपको बता दें CAIT ने सरकार को पत्र भेज और DPIIT, CCI के अधिकारीयों और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर यह दावा किया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म खुदरा व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित कर रहें हैं।

साथ ही CAIT ने इसको लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में कानूनी मुकदमा भी दायर किया गया है।

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