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चीन बना रहा ‘अमीर व्यक्तियों’ और ‘कंपनियों’ पर अधिक टैक्स देने का दबाव: रिपोर्ट

चीन बना रहा ‘अमीर व्यक्तियों’ और ‘कंपनियों’ पर अधिक टैक्स देने का दबाव: रिपोर्ट

  • चीन में आर्थिक सुस्ती के चलते सरकार हुई सख्त
  • अमीर व्यक्तियों और कंपनियों से अधिक टैक्स की मांग
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China Asks Rich People And Companies To Pay More Taxes?: पड़ोसी देश चीन द्वारा हाल ही में एक बड़ी आर्थिक पहल के तहत अमीर व्यक्तियों और कंपनियों से अधिक टैक्स वसूलने की कोशिशें किए जाने की खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, इन सभी से टैक्स देनदारी का ‘सेल्फ-रिव्यू’ करने के लिए कहा गया है, ताकि वह अपनी टैक्स देनदारियों को दोबारा जांचनें और अधिक टैक्स देने की कोशिश करने संबंधित निर्देश दिए गए हैं।

जी हाँ! यह जानकारी फाइनेंशियल टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट में मामले के जानकार सूत्रों के हवाले से सामने आ सकी है। इस नई नीति के तहत अगर कोई टैक्स बकाया पाया जाता है तो उसे भी तुरंत भरने का भी निर्देश दिया गया है। सरकार के इस कथित फ़ैसले को लेकर चीन में अमीरों और तमाम कंपनियों के बीच डर और असमंजस का माहौल बताया जा रहा है।

China Asks To Pay More Taxes?

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती, सरकारी राजस्व में गिरावट और संपत्ति बाजार में गिरावट के कारण ही चीन की सरकार ने अब अपने राजस्व में सुधार के लिए टैक्स वसूली पर अधिक फोकस करना शुरू किया है। इस कदम से न केवल देश के अमीर नागरिकों, बल्कि विदेशी निवेशकों भी हैरान बताए जा रहे हैं। तमाम निवेशकों के बीच भी असमंजस की स्थिति सी उत्पन्न हो गई है।

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वैसे चीन की सरकार के इस अभियान का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना और राजस्व बढ़ाना है। चीनी टैक्स अधिकारियों ने अमीरों और बड़े व्यवसायों को “सेल्फ-इंस्पेक्शन” यानी ‘स्व-निरीक्षण’ का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि उन्हें अपनी टैक्स देनदारियों का खुद से आकलन करना होगा और इस प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा ताकि भविष्य में कोई जांच हो तो उसे प्रस्तुत किया जा सकें।

इतना ही नहीं बल्कि रिपोर्ट की माने तो विदेशी निवेशों से होने वाली व्यक्तिगत आय पर भी टैक्स का भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं। जाहिर है इन सबके चलते अमीरों और बड़े व्यवसायों के बीच घबराहट बढ़ गई है क्योंकि अब उन्हें अपनी संपत्ति और आय का पूरा हिसाब रखने के साथ-साथ टैक्स में किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर तुरंत भुगतान करना होगा।

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अर्थव्यवस्था में सुस्ती वजह

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले चीन में पिछले कुछ समय से आर्थिक सुस्ती देखनें को मिल रही है। और ऐसे में चीनी सरकार अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए नई आर्थिक योजनाएं व तरीकों पर विचार कर रही है। टैक्स वसूली के जरिए रकार न केवल राजस्व बढ़ाना चाहती है, बल्कि अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने का भी प्रयास कर रही है।

बताया जा रहा है कि चीन के केंद्रीय बैंक ने भी इस आर्थिक संकट को हल करने के लिए ब्याज दरों में कटौती और बैंकों को अधिक ऋण प्रदान करने की योजना बनाई है। स्थानीय सरकारों ने हाल ही में आर्थिक मंदी और संपत्ति बाजार की सुस्ती के चलते खर्च में कटौती शुरू कर दी है। जमीन की बिक्री और tax से होने वाली आय में गिरावट के कारण स्थानीय सरकारों के राजस्व पर असर पड़ा है।

इन सब के बीच अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीनी सरकार ने छिपे ढंग से होने वाली देनदारियों पर भी कड़ी नजर रखना शुरू कर दिया है, ताकि स्थानीय सरकारों के कर्ज को कंट्रोल किया जा सके। अमीर व्यक्तियों और बड़ी कंपनियों पर टैक्स वसूली का बढ़ता दबाव न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि निवेशकों के मन में भी एक भय का माहौल बना रहा है। इतना ही नहीं बल्कि इस नई नीति का असर शेयर बाजार पर भी दिख सकता है।

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