China’s space center in the moon in 2035: 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में चंद्रयान सुरक्षित लैंड करवाकर चीन ने इतिहास रच दिया था, अपनी ऐतिहासिक सफलता के बाद चीन के हौसले और अधिक बुलंद हो चुके है। शायद इसी की बानगी है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश ने चंद्रमा में अपना बेस बनाने की घोषणा की है। इसके साथ ही चीन ने सिर्फ बेस ही नहीं बल्कि अगले कुछ दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करने, चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन बनाने तथा रहने योग्य ग्रहों और अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज का पता लगाने की भी बात कही हैं।
चन्द्रमा में चीन का ख़ुद का अंतरिक्ष स्टेशन
चीन चांद पर अपना ‘बेस’ बनाने जा रहा है। यानी वह चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन (Lunar Space Station) बनाने की तैयारी में जुट गया है। जबकि, स्पेस में उसका खुद का अंतरिक्ष स्टेशन पहले से ही मौजूद है। चाइना एकेडमी ऑफ साइंसेज के उपाध्यक्ष डिंग चिबियाओ के अनुसार, चीन द्वारा शुरू किए गए अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन का निर्माण 2028 से 2035 तक दूसरे चरण के दौरान किया जाएगा। पहले चरण में, चीन 2027 तक अंतरिक्ष स्टेशन संचालन, मानवयुक्त चंद्र अन्वेषण परियोजना को लागू करने, अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के चौथे चरण और ग्रह अन्वेषण परियोजना पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सौरमंडल की उत्पति को लेकर भी अनुसंधान
ग्रह अन्वेषण परियोजना के माध्यम से चीन के वैज्ञानिक सौरमंडल, आकाशीय पिंडों की जीवन क्षमता का पता लगाएंगे। साथ ही अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज करेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान सौरमंडल की उत्पति, ग्रहों के वायुमंडल की खासियत के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी।
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गौरतलब हो, चीन के रोबोटिक चांग’ई 6 मिशन ने मंगलवार (25 जून 2024) को चंद्रमा के रहस्यमयी सुदूर भाग से सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस लौटा था। चांग’ई 6 का वापसी कैप्सूल चीन के इनर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में सुरक्षित उतरा था। चांग’ई 6 में चार मॉड्यूल शामिल हैं। इसमें एक चंद्र लैंडर, एक रिटर्न कैप्सूल, एक ऑर्बिटर और एक एसेंडर (लैंडर द्वारा ले जाया (China’s space center in the moon in 2035) जाने वाला एक छोटा रॉकेट) मौजूद थे।