संपादक, न्यूज़NORTH
URL Whitelisting Norms: टेलीकॉम इंडस्ट्री और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के बीच हाल ही में एक बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ है। विवाद URL व्हाइटलिस्टिंग से संबंधित नए दिशानिर्देश से जुड़ा हुआ है, जिन्हें लागू करना कथित रूप से टेलीकॉम कंपनियों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। असल में TRAI ने हाल ही में व्हाइटलिस्टिंग के लिए कुछ नए नियम लागू करने का निर्देश दिया। लेकिन अब रिपोर्ट्स के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि इन नियमों को लागू कर पाना असंभव हिया।
लेकिन इस खबर पर आगे बढ़ने से पहले तो जान लेते हैं कि URL व्हाइटलिस्टिंग होता क्या है। असल में आपने देखा होगा कि अक्सर मैसेज आदि में शॉर्ट URL का इस्तेमाल होता है, जिसका मकसद मैसेज में वर्ड्स की संख्या कम करना होता है। ये URL अक्सर आपको कई बिजनेस कंपनियों से आने वाले मैसेजों में देखनें को मिलते हैं।
ऐसे में URL की व्हाइटलिस्टिंग वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत ऐसे शॉर्ट लिंक को अप्रूव या मंज़ूर किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत यह सुनिश्चित करना होता है कि केवल प्रमाणित और सही लिंक ही मैसेजों में शामिल करते हुए ग्राहकों को भेजे जाएँ।
URL Whitelisting Norms
लेकिन जानकारों के अनुसार डायनामिक URL और शॉर्ट URL रियल टाइम में जनरेट होते हैं और पूर्व-रजिस्टर कर पाना व्यावहारिक रूप से काफी कठिन है। और यही वजह है कि ET की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, टेलीकॉम ऑपरेटरों का कहना है कि शॉर्ट URL की ला ‘Final Destination’ URL व्हाइटलिस्टिंग के दौरान घोषित नहीं किया जा सकता। इसलिए टेलीकॉम कंपनियों ने TRAI द्वारा सुझाए गए कुछ दिशानिर्देशों पर आपत्ति जताई है।
न्यूज़North अब WhatsApp पर, सबसे तेज अपडेट्स पानें के लिए अभी जुड़ें!
रिपोर्ट की मानें तो TRAI ने टेलीकॉम ऑपरेटरों को निर्देश दिया था कि शॉर्ट URL व्हाइटलिस्टिंग के दौरान ‘Final Destination’ URL को भी घोषित किया जाए। इस नए निर्देश के कारण टेलीकॉम कंपनियों को कई तकनीकी और व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनियों का कहना है कि उन्होंने TRAI के प्रारंभिक निर्देशों के आधार पर पहले ही अपनी प्रणाली को सेटअप कर लिया था और यह नया नियम उनके लिए लागू करना संभव नहीं है।
TRAI vs Telecom Companies
बताया गया कि इस विषय में टेलीकॉम ऑपरेटरों ने TRAI को पत्र लिखकर सूचित किया है कि नया निर्देश व्यावहारिक रूप से लागू कर पाना असंभव है। टेलीकॉम ऑपरेटरों ने स्पष्ट किया है कि ‘Final Destination’ URL को व्हाइटलिस्टिंग के दौरान घोषित करना तकनीकी रूप से बहुत कठिन काम है, खासकर तब जब शॉर्ट URL रियल-टाइम में जनरेट होते हैं।
दिलचस्प रूप से यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब TRAI ने स्पैम और फ्रॉड कॉल्स पर लगाम लगाने के लिए सख्ती की हुई है। हाल ही में, TRAI ने 1 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शनों को स्पैम कॉल्स और धोखाधड़ी रोकने के लिए डिस्कनेक्ट कर दिया। साथ ही, पिछले महीने टेलीकॉम कंपनियों ने TRAI के निर्देशानुसार 50 से अधिक स्पैम करने वाले संस्थानों को ब्लैकलिस्ट भी किया। TRAI का मकसद स्पैम और धोखाधड़ी को कम से कम करने है।