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वाहन स्क्रैपिंग नीति में हो सकता है बदलाव, ‘वाहनों की उम्र’ के बजाए ‘प्रदूषण’ बनेगा आधार

वाहन स्क्रैपिंग नीति में हो सकता है बदलाव, ‘वाहनों की उम्र’ के बजाए ‘प्रदूषण’ बनेगा आधार

  • दिल्ली-एनसीआर में कई लोगों को मिल सकती है एक बड़ी राहत
  • 15 साल से पुराने वाहनों को भी नहीं करना होगा स्क्रैप?
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Change in Vehicle Scrapping Policy: बढ़ते प्रदूषण और पुराने वाहनों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने कुछ साल पहले स्क्रैपिंग नीति लागू की थी। इस नीति के तहत 15 साल से पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने का प्रावधान है। वैसे इस नीति पर लगातार कुछ सवाल भी उठते रहे हैं, खासकर उन लोगों द्वारा जो अपने वाहनों का सही तरीके से रखरखाव करते हैं। और शायद अब इसी के चलते सरकार कथित रूप से इस नीति में कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने हाल ही में आयोजित ‘सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स’ की सालाना बैठक में कहा कि सरकार अब वाहनों की उम्र के बजाय उनके प्रदूषण स्तर को स्क्रैपिंग का आधार बनाने पर विचार कर रही है। असल में कई लोग यह कहते आए हैं कि अच्छी तरह से रखरखाव किए गए वाहनों को भी सिर्फ उनकी उम्र के आधार पर स्क्रैप करना उचित नहीं है।

जैसा हमनें पहले ही बताया वर्तमान स्क्रैपिंग नीति के तहत 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप करना अनिवार्य है। इसके पीछे मुख्य कारण प्रदूषण को कम करना और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है। सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से पुराने डीजल वाहन सड़कों पर नहीं चल सकते। इन वाहनों को ऑटोमेटिक ही वाहन डेटाबेस से डी-रजिस्टर कर दिया जाता है। फिलहाल इसका दायरा अभी भी केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित है।

Change in Vehicle Scrapping Policy: प्रदूषण के आधार पर स्क्रैपिंग

लेकिन अब सरकार अब इस नीति पर पुनर्विचार कर रही है। जानकारी के अनुसार, विचार मुख्य रूप से इस बात पर हो रहा है कि क्या 15 साल की सीमा को हटाकर वाहनों के प्रदूषण के स्तर को स्क्रैपिंग का आधार बनाया जा सकता है।

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इस बीच अनुराग जैन के अनुसार, कई वाहन मालिक यह दावा करते हैं कि वे अपने वाहनों की सही तरीके से देखभाल कर रहे हैं और उनके वाहन अभी भी सड़क पर चलने के लिए सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त हैं। ऐसे में, इन वाहनों को केवल उनकी उम्र के आधार पर कबाड़ में बदलने की अनिवार्यता उचित नहीं है।

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माना जा रहा है कि कोई भी बदलाव करने से पहले सरकार एक व्यापक अध्ययन कर सकती है कि क्या वाहनों के प्रदूषण स्तर के आधार पर उन्हें स्क्रैप करने का मानक बनाया जा सकता है या नहीं? अगर यह संभव होता है, तो इससे उन वाहनों को सड़क पर बने रहने का मौका मिलेगा, जिनका प्रदूषण स्तर मान्य सीमा के भीतर है भले वह कितने भी साल पुराने क्यों न हो गए हों।

जाहिर है इससे तमाम लोगों को एक बड़ी राहत मिल सकने की भी उम्मीद है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह प्रस्तावित या संभावित बदलाव ‘वाहन स्क्रैपिंग नीति’ को एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है।

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