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लॉरेंस बिश्नोई का जेल से इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं, CJI का आदेश

लॉरेंस बिश्नोई का जेल से इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं, CJI का आदेश

  • लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी.
  • मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया.

Journalist interviewed Lawrence Bishnoi: सुप्रीम कोर्ट ने 30 अगस्त को यह निर्देश दिया कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार के खिलाफ पंजाब और राजस्थान की जेलों में कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा IPS प्रबोध कुमार की अध्यक्षता वाली SIT को इंटरव्यू से संबंधित मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के खिलाफ दायर चुनौती पर सुनवाई के दौरान पत्रकार के पक्ष में सुनाया है।

एबीपी के पत्रकार ने जेल में बंद अपराधी का लिया था इंटरव्यू

पंजाब और राजस्थान की जेल में बंद खूंखार गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का साक्षात्कार एबीपी न्यूज के पत्रकार जगविंदर पटियाल द्वारा लिया गया था, जो एबीपी न्यूज़ नेटवर्क में दो अलग अलग पार्ट में प्रसारित किया गया था, साथ ही इंटरव्यू को यूट्यूब पर इंटरव्यू को 12 मिलियन बार देखा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

पत्रकार और निजी चैनल की ओर से दायर याचिका को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि, “पत्रकार का उद्देश्य अपराधियों को बेनकाब करना था, लेकिन जेल परिसर के भीतर इंटरव्यू आयोजित करना जेल के नियमों का गंभीर उल्लंघन है।”

मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा, “एक हद तक, शायद आपके मुवक्किल ने इंटरव्यू की मांग करके जेल के कुछ नियमों का उल्लंघन किया हो, लेकिन यह तथ्य कि यह जेल में भी हो सकता है, एक बहुत गंभीर मामला है।”

हालांकि इस दौरान पत्रकार के कृत्य को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कुछ हद तक गैरजिम्मेदार कृत्य भी बताया चूंकि याचिकर्ता के तरफ़ से पेश वकील ने साक्षात्कार को जेलों में मौजूद ‘सड़ांध को उजागर करने’ वाला बताया था। इस बात को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा क्या? इससे जेल प्रतिबंधों के उल्लंघन को उचित ठहराया जा सकता है, और क्या इससे उच्च न्यायालय द्वारा जेलों में सुरक्षा खतरों पर उठाई गई चिंताओं को नकारा जा सकता है।

उन्होंने कहा, “समस्या और तथ्य यह है कि आप जेल तक पहुंच हासिल कर लेते हैं और जेल से इंटरव्यू करते हैं, क्या आप ऐसा कर सकते हैं? क्या हम कह सकते हैं कि उच्च न्यायालय गलत है? कारावास के अपने कुछ प्रतिबंध होते हैं।

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गौरतलब हो, एबीपी न्यूज़ के पत्रकार द्वारा लिया गया इंटरव्यू काफ़ी वायरल हुआ था, इसमें जेल प्रशासन से लेकर कई जिम्मेदार लोगों के ऊपर सवाल उठे थे, कि इस प्रकार जेल में बन्द व्यक्ति मोबाईल फोन का उपयोग कर पा रहा है, इसके साथ ही उक्त इंटरव्यू ने कई गंभीर प्रश्न खड़े किए थे। फिलहाल न्यायालय ने मामले में नोटिस जारी किया है और पंजाब और राजस्थान राज्यों के साथ-साथ केंद्र से भी जवाब (Journalist interviewed Lawrence Bishnoi) मांगा है।

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