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भारतीयों में आयरन, कैल्शियम और फोलेट की कमी, Lancet की ताजा रिपोर्ट में खुलासा

भारतीयों में आयरन, कैल्शियम और फोलेट की कमी, Lancet की ताजा रिपोर्ट में खुलासा

  • भारतीयों में आयरन, कैल्शियम और फोलेट की कमी आम
  • पुरुषों में जिंक और मैग्नीशियम की अधिक कमी
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Indians to be deficient in iron, calcium, folate?: हाल ही में आई Lancet Global Health की रिपोर्ट ने भारत में कुपोषण और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं और पुरुषों दोनों में आवश्यक पोषक तत्वों की भारी कमी पाई जा रही है। विशेष रूप से भारतीय लोगों के शरीर में आयरन, कैल्शियम और फोलेट की कमी का जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है किभारतीय महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आयोडीन की कमी अधिक पाई जाती है। इसके विपरीत, पुरुषों में जिंक और मैग्नीशियम की कमी दर्ज की गई। जाहिर तौर पर यह स्थिति देश में महिलाओं और पुरुषों के बीच पोषण के असंतुलन को दर्शाती है। रिपोर्ट के अनुसार, हालातों को देखते हुए, स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।

Indians to be deficient in iron, calcium, folate?

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में आयरन, कैल्शियम और फोलेट की कमी न केवल महिलाओं में बल्कि पुरुषों में भी पाई जाती है। इन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी से न केवल शारीरिक विकास पर असर पड़ता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। वैसे Lancet की इस स्टडी में 185 देशों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि वैश्विक स्तर पर 15 आवश्यक माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी आमतौर पर देखनें को मिलती है।

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इस स्टडी से पता चलता है कि विश्व भर में लगभग 70 प्रतिशत लोग आयोडीन, विटामिन-ई और कैल्शियम का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति महिलाओं के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि उनमें आयोडीन, विटामिन बी12 और आयरन की कमी बड़े पैमाने पर देखी गई है। वहीं, पुरुषों में मैग्नीशियम, विटामिन बी6, जिंक और विटामिन C की कमी का पता चला है।

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रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के 10 से 30 वर्ष की आयु के लोग कैल्शियम की कमी का सामना कर रहे हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जो कि आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

इसके अलावा, लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की जून में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में यह पाया गया है कि भारत में शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने की आदत तेजी से घट रही है। 2000 में जहां 22 प्रतिशत लोग व्यायाम नहीं करते थे, वहीं 2022 तक यह संख्या बढ़कर 49.4 प्रतिशत हो गई है, जिससे देश की आधी से अधिक आबादी शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो गई है।

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