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Infosys में फ्रेशर्स की हायरिंग में देरी के विवाद का निपटान अब सरकार करेगी?

Infosys में फ्रेशर्स की हायरिंग में देरी के विवाद का निपटान अब सरकार करेगी?

  • Infosys पर फ्रेशर्स की हायरिंग में देरी का आरोप
  • NITES ने की सरकार से हस्तक्षेप करने की माँग
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Infosys Delays In Onboarding Freshers?: भारत की दिग्गज आईटी कंपनी Infosys हाल ही में फ्रेशर्स की हायरिंग में हो रही कथित देरी के कारण विवादों में घिर गई है। यह मामला इतना गंभीर हो गया है कि IT कर्मचारियों के संगठन NITES (नेसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट) ने सीधे श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग की है।

असल में Infosys ने 2022-23 के कैंपस भर्ती के दौरान कई इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को सिस्टम इंजीनियर (SE) और डिजिटल इंजीनियर (DSE) के पदों चयनित किया था।इन उम्मीदवारों को अप्रैल 2022 में ही ऑफर लेटर जारी किए जाने थे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कथित रूप से लगभग दो साल बाद भी उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो सकी है।

Infosys Delays In Onboarding Freshers?

रिपोर्ट्स के अनुसार, Infosys ने लंबे समय तक इंतज़ार करवाने के बाद इन ग्रेजुएट्स को 1 जुलाई से 24 जुलाई 2024 तक एक प्री-ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने के लिए कहा था। HR टीम ने ग्रेजुएट्स को आश्वासन दिया था कि इस प्री-ट्रेनिंग के बाद उन्हें 19 अगस्त या 2 सितंबर 2024 तक ज्वाइनिंग मिल जाएगी। लेकिन, प्री-ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा होने के बाद भी कंपनी ने अपना वादा नहीं निभाया। इसके बजाय, इन ग्रेजुएट्स को एक और बार ऑफलाइन प्री-ट्रेनिंग परीक्षा देने को कहा गया है।

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NITES के अनुसार, Infosys का यह रवैया पूरी तरह से गैर-पेशेवर है। संगठन को कई फ्रेशर्स से शिकायतें मिली हैं कि इंफोसिस उनके करियर के साथ खिलवाड़ कर रहा है। प्रभावित लोगों के इस मुद्दे को देखते हुए NITES ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो NITES ने अपने पत्र में साफ किया है कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और Infosys जैसी बड़ी कंपनियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए।

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NITES का क्या कहना है?

IT पेशेवरों के इस संगठन का कहना है कि इस तरह की घटनाएं अन्य कंपनियों के लिए भी गलत उदाहरण पेश कर सकती हैं और इसलिए जरूरी है कि सरकार इसे गंभीरता से ले और Infosys को तलब करे। यह भी सामने आया है कि प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को इस देती के चलते आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से परेशानी हो रही है।

साफ है, अगर ऐसा वाक़ई है तो वो उम्मीदवार कही और किसी कंपनी में जाने को लेकर भी कोई पुख्ता निर्णय नहीं कर पा रहे। और न ही कथित रूप से Infosys की ओर से उन्हें आगे के रोडमैप को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी मिल पा रही है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि इस मसले पर क्या सरकार हस्तक्षेप करती है और इसका क्या समाधान निकल पता है?

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