Pune Porsche Case: पुणे में लक्जरी कार से दुर्घटना मामले को लेकर एक के बाद एक कई जांचे शुरू होने लगी है, पुणे में बिल्डर के नाबालिक लड़के ने 19 मई को अपनी कार से दो लोगों को टक्कर मार दी थी, जिसके बाद कार की टक्कर में घायल दोनों लोगों की मौके में मौत हो गई थी, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाबालिक लड़का बहुत ज्यादा नशे में था।
पूरे मामले को लेकर रहीश पिता की नसेड़ी पुत्र को बचाने के लिए दो पुलिसकर्मियों सहित दो डॉक्टरों की अब तक गिरफ्तारी की जा चुकी है, उक्त लोगों के ऊपर दुर्घटना के आरोपी को बचाने और सबूत मिटाने के आरोप लगे है। अब इस पुरे मामले को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की बातें उठनी लगी है, जहां आम लोग पुरे मामले को लेकर अमीर गरीब के बीच कानूनी कार्रवाई को लेकर आलोचना करने से नही चूक रहे है वही कुछ लोग अब भी पूरे मामले में निष्पक्ष जांच और इंसाफ मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। इस बीच नाबालिक आरोपी को जमानत देने वाली बोर्ड को लेकर जांच की बात सामने आई है।
दरअसल पुणे पोर्श कार दुर्घटना के मुख्य आरोपी जो नाबालिक है, उसे मामले में निबंध लिखने की सजा और मामूली मुचलके में जमानत बड़ी आसानी से दे दी गई थी, जिसे लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सोशल मीडिया में तीखी (Pune Porsche Case) आलोचना का सामना करना पड़ा था।
बोर्ड की जांच के लिए कमेठी का गठन
सोशल मीडिया में नाबालिक आरोपी को मामूली सी सजा के बाद जमानत देने की बात में आलोचना का सामना कर रही जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है। महाराष्ट्र महिला एवं बाल विकास आयुक्त प्रशांत नरनावारे ने जांच कमेटी गठित किया है। उन्होंने एक निजी मीडिया संस्था से बातचीत में कहा कि, राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त दो बोर्ड सदस्यों की जांच की जायेगी। यह जांच कमेटी दोनों सदस्यों के पुराने रिकॉड्स और आदेशों को खंगालेगी और 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
बोर्ड के दोनों ही सदस्य डेढ़ साल पहले नियुक्त किए गए थे, यदि वह जांच में यह रिपोर्ट में दोषी पाए जाते है तो उन्हें राज्य सरकार बर्खास्त कर सकती है।
क्राइम होने के 15 घंटो के अंदर जमानत देने को लेकर उठे सवाल
पोर्श कार से दो लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद नाबालिक आरोपी को 7500 रुपए की राशि और एक निबंध लिखने की सजा देते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सिर्फ़ क्राइम होने के 15 घंटे के भीतर जमानत दे दिया था।
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इसमें जमानत की अन्य शर्तो में पुलिस के साथ काम करना और शराब की लत खत्म करने के लिए डॉक्टर से टीटमेंट करवाने वाली बातें भी थी। हालांकि भारी विरोध के चलते जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिक की जमानत को रद्द कर दिया था, इसके साथ ही उसे 5 जून तक निगरानी केंद्र में भेज दिया गया था।