20000 consumers of Supertech will get houses soon: सुपरटेक समूह पर कोर्ट की ओर से नियुक्त आईआरपी (इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल) हितेश गोयल ने एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में प्रस्ताव दाखिल किया हैं, जिनमें उन्होंने सुपरटेक के अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने की योजना रखी है। उनका दावा है यादि कोर्ट उन्हे अपनी योजना पूर्ण करने की अनुमति प्रदान करता है तो वह अगले तीन सालों में करीबन 20000 से अधिक लोगों को उनका स्वयं का घर दे देंगे, इसके लिए ग्राहकों के ऊपर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी नही बढ़ेगा।
आपको बता दे, सुपरटेक समूह में अपने घर का सपना संजोए कई उपभोक्ताओं ने बुकिंग राशि काफ़ी समय से दे रखी है।
सुपरटेक समूह की अन्य प्रॉपर्टी बेचें जानें की योजना
आरपीआई के पास सुपरटेक समूह के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पूर्ण करने की जिम्मेदारी है, जिसके लिए कोर्ट ने आरपीआई हितेश गोयल को नियुक्त किया है। उन्होंने हिंदुस्तान से बात करते हुए बताया कि, वह तीन सालों में 20000 से ज्यादा लोगों को उनके खुद के घर बना के देंगे साथ ही इसमें उनसे कोई अतिरिक्त धन राशि नही ली जाएगी। उन्होंने अधूरे पड़े प्रोजेक्ट के लिए धनराशि जुटाने के लिए सुपरटेक समूह की बिना बिकी संपत्तियों को बेचकर राशि जुटाने की बात कही।
कोर्ट ने प्रस्ताव को लेकर मांगी आपत्तियां
आरपीआई के ओर से दायर प्रस्ताव को लेकर एनसीएलटी ने अन्य पार्टियो से इस प्रोजेक्ट को लेकर आपत्तियां मांगी है, जिसके लिए दो हफ्तों का समय दिया गया है। यदि दो हफ्तों के अंदर ऐसी कोई खास आपत्तियां दर्ज की नही जाती तो आरपीआई के प्रस्ताव के अनुरूप सुपरटेक समूह के अन्य संपतियों को (20000 consumers of Supertech will get houses soon) बेचकर लोगों का अपना घर होने वाला सपना पूरा हो सकता है।
गौरतलब हो, सुपरटेक के प्रोजेक्ट्स में हजारों फ्लैट बायर्स फंसे हुए हैं। इन बायर्स को अपना फ्लैट मिलने का काफी लंबे समय से इंतजार है। सुपरटेक (Supertech) के 18 प्रोजेक्ट्स में करीबन 20 हजार बायर्स को काफी समय से अपने फ्लैट के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
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ज्ञात हो, मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सुपरटेक के चेयरमैन और प्रमोटर आर.के अरोड़ा की हाल में ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर अतिरिक्त 90 दिनों के लिए अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और उन्हें 13 मई को शाम पांच बजे तक जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।