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NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों और हिंदुत्व राजनीति के संदर्भ गायब, जानें वजह?

NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों और हिंदुत्व राजनीति के संदर्भ गायब, जानें वजह?

  • एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं.
  • बदलाव के बारे में NCERT ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट में जानकारी भी सार्वजनिक की.

Change in chapter in NCERT books: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान (Political Science Textbook) में भारी बदलाव किया हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार NCERT ने 12 वी कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की टेक्स्ट बुक के कई विवादित विषयों और टॉपिक्स को अपने पाठ्यक्रम से हटाया है।

जिन विषयों को टेक्स्ट बुक से हटाया गया है या उसके संदर्भों को बदला गया, उनमें गुजरात दंगो, बाबरी विध्वंस, हिंदुत्व की राजनीति, अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े विषय हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बदलाव के बारे में NCERT ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट में जानकारी भी सार्वजनिक की है।

एनसीआरटी के टेक्स्ट बुक में किए गए यह बदलाव इसी सत्र से स्कूलों में लागू किया जायेगा। आपको बता दे, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं, जिससे भारत में लगभग 30,000 स्कूल जुड़े हुए हैं।

क्या हुआ बदलाब?

एनसीआरटी की पॉलिटिकल साइंस की बुक के चैप्टर 8 के ‘भारतीय राजनीति में हालिया घटनाक्रम’ से ‘अयोध्या विध्वंस’ का संदर्भ हटा दिया गया है। इसके जगह बदलकर “राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?” कर दिया गया है।

इस बदलाव के पीछे एनसीआरटी ने तर्क देते हुए कहा कि चैप्टर को नए बदलावों के साथ जोड़ा जा सकें, इसके लिए प्रश्नों को बदला गया है। संस्था ने कहा है कि ये बदलाव ‘राजनीति में हुए हालिया बदलावों’ को ध्यान में रखकर किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के लिए गए ऐतिहासिक फैसले का भी अब बुक में जिक्र मिलेगा। कैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद मंदिर निर्माण हुआ।

इसके अलावा लोकांत्रिक अधिकार वाले चैप्टर में से गुजरात दंगो का जिक्र हटाया गया है। जिसे हटाने को लेकर तर्क दिया है कि ‘ चैप्टर का सन्दर्भ एक ऐसी घटना का जिक्र करता है जो 20 साल पुरानी है और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से हल हो चुकी है।’

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चैप्टर 5 में मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने का संदर्भ हटा दिया गया है। इसकी जगह एनसीआरटी ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि मुस्लिम भारत की कुल आबादी में 14.2% है, जो सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमज़ोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

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इसके अलावा एनसीआरटी ने 12 वी कक्षा की इतिहास की बुक से हड़प्पा सभ्यता को लेकर भी आंशिक बदलाब किया है।

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