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क्या है कच्चातिवु द्वीप विवाद? इंदिरा सरकार ने इसे श्रीलंका को सौंपा, क्यों?

क्या है कच्चातिवु द्वीप विवाद? इंदिरा सरकार ने इसे श्रीलंका को सौंपा, क्यों?

  • कच्चातिवुद्वीप रामेश्वरम के उत्तर-पूर्व में स्थित है.
  • इंदिरा गांधी सरकार द्वारा इसे श्रीलंका को सौंपने के बाद तमिलनाडु में कई आंदोलन किए गए.

Indira government Katchatheevu island dispute?: दक्षिण भारत में अपनी जमीन तलाश रही भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तमिलनाडु में कच्चातिवुद्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने को लेकर राज्य में एक बड़ा मुद्दा बना दिया है।

आपकों जानकारी के लिए बता दे, कच्चातिवुद्वीप में मालिकाना हक को लेकर श्रीलंका सरकार और भारत सरकार के बीच काफ़ी समय तक विवाद बना रहा था, जिसे ख़त्म करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिना तमिलनाडु राज्य सरकार को विश्वास में लिए यह द्वीप को श्रीलंका को सौंपा दिया था, तब से लेकर अब तक यह कच्चातिवुद्वीप तमिलनाडु में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

कहां स्थित यह द्वीप!

श्रीलंका की अपेक्षा भारतीय तट से नजदीक कच्चातिवुद्वीप रामेश्वरम के उत्तर-पूर्व में स्थित है, जिसकी भारतीय तट से दूरी 33 किमी के आसपास बताई जाती है जबकि यह द्वीप श्रीलंका के जाफना से करीब 62 किमी दूरी में स्थित है। यह भारत और श्रीलंका की सीमा में नेदुनथीवु और रामेश्वरम के बीच स्थित है। जिसका क्षेत्रफल 285 एकड़ के करीब बताया जाता है, और साथ ही इसकी सबसे चौड़े बिंदु पर लंबाई 1.6 किमी से ज्यादा नहीं है, यह एक निर्जन स्थान हैं। इसका उपयोग दोनों देशों के मछुवारे मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते आए हैं। इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार द्वारा इसे श्रीलंका को सौंपने के बाद इस फैसले के खिलाफ तमिलनाडु में कई आंदोलन किए गए हैं, कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के मछुआरों के लिए सांस्कृतिक रूप से अहम बताया जाता है।

श्रीलंका से संबंध गहरे करने का रणनीतिक फैसला

इंदिरा गांधी सरकार ने 1974 में इस मामले को पूरी तरह ख़त्म करने का फैसला लिया चूंकि द्वीप को लेकर दोनों ही देश आमने सामने आ जाते थे, भारत ने श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा निर्धारित करने के लिए समझौते के तहत एक (Indira government Katchatheevu island dispute?)  हिस्से के रूप में कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंप दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री का मानना था कि ऐसा करने से श्रीलंका के साथ संबंध और गहरे हो जाएंगे।

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प्रधानमंत्री का फैसला राज्य के लोगों को अस्वीकार

इंदिरा गांधी सरकार का यह फैसला उस समय तमिलनाडु विधानसभा से सलाह किए बिना लिया गया था, जिसका विरोध राज्य में काफ़ी समय से अब तक किया जाता रहा है। भारत सरकार से कई बार तमिलनाडु द्वारा कच्चाथिवु द्वीप को वापिस लिए जाने मांग उठती रही है। 2008 में तत्कालीन नेता जे. जयललिता ने कोर्ट में अर्जी दी थी और उनके द्वारा कहा गया था कि संवैधानिक संशोधन के बिना कच्चातिवु को किसी अन्य देश को नहीं सौंपा जा सकता। इसके अलावा राज्य के एक और सीएम स्टालिन ने श्रीलंका के PM रानिल विक्रमसिंघे की भारत यात्रा से पहले PM मोदी पत्र लिखकर श्रीलंका के प्रधानमन्त्री से कच्चातिवु पर बात करने को कहा था।

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