Now Reading
इलेक्टोरल बॉन्ड: शीर्ष 5 डोनर्स में से 3 पर ED और IT का रह चुका था शिकंजा – रिपोर्ट

इलेक्टोरल बॉन्ड: शीर्ष 5 डोनर्स में से 3 पर ED और IT का रह चुका था शिकंजा – रिपोर्ट

  • इलेक्टोरल बॉन्ड के आँकड़ो के अलग-अलग आँकलन आए सामने
  • शीर्ष 5 डोनर्स में से 3 पर ED और IT का रहा था शिकंजा?
3-of-top-5-donors-bought-electoral-bonds-after-ed-and-it-raids

3 of top 5 donors bought electoral bonds after ED and IT Raids?: देश भर में कल रात से ही सबसे अधिक चर्चा इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर ही हो रही है। 14 मार्च 2024 की रात में ही चुनाव आयोग ने एसबीआई द्वारा तैयार किए गए आँकड़े को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत किया गया।

वैसे SBI द्वारा चुनाव आयोग को सौंपा गया डेटा अधूरा सा नजर आया। यही वजह रही कि आज डेटा जारी होने के अगले ही दिन SBI को सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस भी थमा दी और यूनिक बॉन्ड नंबरों के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी साझा करने को कहा। लेकिन इस बीच अब तक उपलब्ध डेटा के आधार पर ही कई तरह के आँकलन सामने आने लगे हैं।

Electoral Bonds & ED and IT Connection

कुछ ही घंटों पूर्व प्रकाशित हुई इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली टॉप 5 कंपनियों में से 3 का इतिहास ED और IT से जुड़ा रह चुका है।

रिपोर्ट बताती है कि 2019 और 2024 के बीच तीन कंपनियों ने अपनी कंपनी पर ईडी और इनकम टैक्स के छापे के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड की ख़रीद की थी। इसमें फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन दिग्गज वेदांता का नाम सामने आया है।

न्यूज़North अब WhatsApp पर, सबसे तेज अपडेट्स पानें के लिए अभी जुड़ें!

असल में चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जो एक पीडीएफ जारी की है, उसमें बॉन्ड ख़रीदने वालों का नाम और राशि की जानकारी शामिल है। इन आँकड़ो के आधार पर बताया जा रहा है कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड ने सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे। इस कंपनी के द्वारा ख़रीदे गए बॉन्ड की कुल कीमत ₹1,368 करोड़ है।

लेकिन रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 की शुरुआत में ही इस कंपनी के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जाँच शुरू की थी। उसी साल कंपनी की कुछ संपत्ति जब्त किए जाने का भी ज़िक्र रिपोर्ट में किया गया है।

वहीं तीन में से दूसरा नाम मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का बताया गया। यह हैदराबाद आधारित कंपनी चुनावी बॉन्ड की ख़रीद के मामले में दूसरे सठन पर रही. इसने कुल ₹966 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे। खबर के मुताबिक साल 2019 में आयकर विभाग ने इस कंपनी के कुछ अधिकारियों पर छापा मारा था और ईडी ने इसके ख़िलाफ जाँच भी शुरू की थी।

See Also
rpsc-protection-officer-recruitment-result-no-single-eligible-candidate

वहीं बॉन्ड ख़रीदने वालों की लिस्ट में अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह 5वें स्थान पर रहा. कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच कुल ₹376 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. इसको लेकर जानकारी सामने आई है कि साल 2018 में ईडी ने वीजा के लिए रिश्वत मामले में वेदांता समूह की कथित संलिप्तता की बात उठाई थी। मामला कुछ चीनी नागरिकों को नियनों का उल्लंघन करते हुए वीजा देने का था। इतना ही नहीं बल्कि ईडी ने 2022 में एक मामले में सीबीआई से शिकायत भी की थी।

Electoral Bond Case

फिलहाल आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक से साफ तौर पर कहा कि अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित पूरी जानकारी देने की बात कही थी। लेकिन बॉन्ड के यूनिक नंबरों का डेटा नहीं प्रदान किया गया। एसबीआई को जल्द से जल्द इसकी जानकारी देनी होगी। इसके लिए एसबीआई को 18 मार्च तक का समय दिया गया।

यूनिक नंबर के ज़रिए ही यह पता चलेगा कि किस व्यक्ति ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। अभी सिर्फ बॉन्ड ख़रीदने वाले लोगों या कंपनियों और राशि हासिल करने वाली पार्टियों की अलग-अलग जानकारी सामने आई है।

©प्रतिलिप्यधिकार (Copyright) 2014-2023 Blue Box Media Private Limited (India). सर्वाधिकार सुरक्षित.