Agni-5 missile successful test: भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने अग्नि 5 (Mission Divyastra) मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए भारतीय रक्षा विभाग को एक और महत्वपूर्ण सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की है। जी हां! डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni-5 Missile) की पहली फ्लाइट टेस्टिंग की, जो सफल रही।
इस बाबत अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर DRDO की सफलता को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए उनकी इस उपलब्धि को लेकर प्रसंशा जहीर की है।
DRDO की उपलब्धि को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखा,
“मिशन दिव्यास्त्र Agni-5 के लिए हमारे DRDO वैज्ञानिकों पर गर्व है, वैज्ञानिकों की मदद से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी के विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट हुआ है।”
अग्नि 5 के बारे में
देश के पास अग्नि सीरीज की अब तक 4 मिसाइल मौजूद थी, जिसकी मारक क्षमता अलग अलग किस्म की थी, अब इस अग्नि सीरीज में अग्नि 5 के सफल परीक्षण के बाद अब भारत के पास 5000 किमी से अधिक दूर (Agni-5 missile successful test) रेंज की मारक क्षमता वाली स्वदेशी मिसाइल मौजूद है। यह नई बेहतर टेक्नोलॉजी से सम्पन्न मिसाइल में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) का उपयोग करते हुए एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई युद्ध प्रमुखों को तैनात किया जा सकता है। इसके साथ ही यह एक मिसाइल एक बार में एक से ज्यादा परमाणु बम ले जाने में सक्षम है।
Proud of our DRDO scientists for Mission Divyastra, the first flight test of indigenously developed Agni-5 missile with Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle (MIRV) technology.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 11, 2024
महिलाओं का योगदान
DRDO के वैज्ञानिकों ने 2008 में अग्नि-5 (Mission Divyastra) पर काम शुरू किया था, DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI), एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (ASL), और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने साथ मिलकर इसे तैयार किया। इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर एक महिला हैं,इसके साथ ही इस पूरे प्रोजक्ट को पूरा करने में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
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अब्दुल कलाम द्वीप में हुआ परीक्षण
अग्नि 5 मिसाइल परीक्षण के लिए भारत पिछले काफी समय से तैयारी कर रहा था, हालांकि ये परीक्षण कब होगा इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी, कहा जा रहा था कि 16 मार्च तक कभी भी भारत इसका परीक्षण कर देगा, इसके लिए DRDO ने ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र नो फ्लाई जोन घोषित किया था।