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CAA का पोर्टल तैयार, मार्च के पहले हफ्ते तक लागू हो सकता है कानून – रिपोर्ट

CAA का पोर्टल तैयार, मार्च के पहले हफ्ते तक लागू हो सकता है कानून – रिपोर्ट

  • देश में मार्च के शुरुआती दिनों में लागू हो सकता है CAA
  • सरकार की ओर से तैयार किया गया है एक ऑनलाइन पोर्टल
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Indian Govt To Implement CAA From March First Week: हाल में ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर यह कहा था कि यह देश का कानून है और इसको लेकर सरकार अधिसूचना जरूर जारी करेगी। उन्होंने यह भी संकेत किए थे कि आगामी लोकसभा चुनाव के पहले ही इसे जारी किया जा सकता है। और ऐसा होता भी नजर आ रहा है। खबर है कि मार्च के पहले हफ्ते में ही देश भर में नागरिकता संशोधन कानून को लागू किया जा सकता है।

जी हाँ! इसका खुलासा एनडीटीवी की एक हालिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि सरकार अगले महीने के पहले सप्ताह में ही देश भर में सीएएए क़ानून को लागू करने की तैयारी में है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई कि सीएए को मार्च के पहले सप्ताह तक या फिर इसके बाद किसी भी दिन प्रभावी किया जा सकता है।

CAA From March First Week

रिपोर्ट में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि सरकार ने सीएए को लागू करने से जुड़े नियमों और एक संबंधित ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किए हैं। माना जा रहा है कि सीएए से जुड़ी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो सकती है। ऐसे में यह पोर्टल इस नए क़ानून को लेकर बहुत अहमियत रखेगा।

सीएए से जुड़े इस ऑनलाइन पोर्टल में रजिस्ट्रेशन आदि की सुविधा होगी। खबर है कि गृह मंत्रालय ने पहले इसका ट्रायल रन भी पूरा किया और अब यह पोर्टल पूरी तरह तैयार बताया जा रहा है। पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के समय आवेदकों से वह साल भी पूछा जा सकता है, जब उन्होंने संबंधित देशों से भारत में आकर शरण ली।

क्या है CAA?

सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून को साल 2019 में पेश किया था। इसके तहत साल 2014 से पहले चुनिंदा पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश) से भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों लोगों को नागरिकता देने का बताया जाता है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किए गए CAA के पीछे का मक़सद हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों समेत सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का है।

इसके तहत उन्हें नागरिकता प्रदान की जानी है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए थे। गौर करने वाली बात ये है कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा CAA बिल को पारित कर दिया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बीच देश के तमाम हिस्सों में कई विरोध प्रदर्शन देखनें को मिले थे। सरकार द्वारा CAA पेश किए जाने के बाद से ही इसको लेकर तमाम तरीक़े के सवाल उठते रहे हैं।

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हाल में अमित शाह ने दिए थे संकेत

भारत के गृह मंत्री ने ईटी नाउ ग्लोबल सबमिट 2024 के दौरान CAA को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा;

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“CAA देश का कानून है, इसका नोटिफिकेशन निश्चित रूप से होगा। चुनाव से पहले ही CAA को अमल में आना है, इसमें किसी को संशय नहीं होना चाहिए।”

अमित शाह ने यह घोषणा करते हुए कहा;

“मैं साफ कर देना चाहता हूँ कि CAA देश में किसी भी व्यक्ति से नागरिकता नहीं छीनने जा रहा है। इसका मकसद सिर्फ धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी और बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है।”

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