Gobi Manchurian banned: गोभी मंचूरियन के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर गोवा से आई है, जहा स्थानीय प्रशासन ने इसकी बिक्री में पूर्ण रूप से बैन लगा दिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब क्षेत्र में किसी भी रेहड़ी पटरी या अन्य खाद्य पदार्थ दुकानों में इसे बेचने की मनाही है।
दरअसल पिछले महीने मापुसा नगर परिषद के पार्षद तारक अरोलकर ने बोदगेश्वर मंदिर जात्रा (भोज) में गोभी मंचूरियन पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था। जिस पर बाकी पार्षदों ने सहमति जताई थी। विपक्ष ने भी पार्षद तारक अरोलकर के फैसले का समर्थन किया था। जिसके बाद भोज में गोभी मंचूरियन डिश नहीं परोसी गई थी। इसके पीछे की वजह इसके सेवन से स्वास्थ्य को गंभीर परेशानी बताई जा रही है। इस पूरे मामले को लेकर पार्षद के अनुसार ‘गोभी मंचूरियन’ बनाने और उसे लाल रंग देने के लिए सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से काफ़ी हानिकारक है, इस वजह से इसे इस क्षेत्र में पूर्णता रूप से बैन किया जा रहा है।
एफडीए ने बताई यह वजह
पार्षद के दावों के इतर एफडीए के वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि, विभाग ने निम्न गुणवत्ता वाले सॉस का उपयोग करने के फटकार लगाई थी, जो उपभोग के लिए हानिकारक है साथ ही स्वच्छता संबंधी चिंताओं के कारण मोरमुगाओ नगर परिषद को पकवान बेचने वाले स्टालों को विनियमित करने का निर्देश दिया गया है।
क्यों लगाया जा रहा बैन!
क्षेत्र में रेहड़ी पटरी में बेचे जाने वाला यह फास्टफुड 30-40 रुपयों में उपलब्ध होता है, इसके पीछे का कारण इसे बनाने के लिए दुकानदार सस्ते खाद्य पदार्थों का उपयोग करते है, फूड अधिकारियों के अनुसार इसके निर्माण में घटिया गुणवत्ता वाली चटनी का उपयोग किया जा रहा था है साथ ही आटे में किसी प्रकार के पाउडर और बैटर में कॉर्नस्टार्च का उपयोग करने की शिकायत प्राप्त हुई थी।
इन कैमिकल पदार्थों का इस्तेमाल तलने के बाद, फूलगोभी के फूल (Gobi Manchurian banned) लंबे समय तक कुरकुरा रखने के लिया किया जाता है। अधिकारी के अनुसार यह पाउडर एक प्रकार का रीठा है जिसका उपयोग कपड़े धोने में किया जाता है। ऐसे में इस खाद्य पदार्थ के सेवन से स्वास्थ्य में गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते है।
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हालांकि स्थानीय प्रशासन के इस फैसले को लेकर दुकानदारों ने आपत्ति जताई है, उनके अनुसार कुछ दुकानदारों के ऐसे कार्य के लिए सभी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।