Identify fake medicines: बीमारियो से बचने के लिए दवाओं की आवश्कता पड़ती है, पर आज के समय में कई लोग और ऐसी कंपनिया मौजूद है, जो बाजारों में नकली दवाई बेचने से भी गुरेज नहीं करते, जिसे खाने के बाद बीमार व्यक्ति स्वस्थ होने की जगह और बीमार पड़ जाता है।
ऐसे में ज्यादातर लोग असली और नकली दवाओ में फर्क समझने के लिए कई प्रकार से युक्तियां निकालते है, कोई अपने पहचान के दवा दुकानदार से दवा लेने को प्राथमिकता देता है तो कोई और युक्ति निकालने की जुगत लगाता है। ऐसे लोगों के लिए एक बेहद ही आसान तरीका है, जिससे वह असली और नकली दवा का फर्क पता लगा सकते है, दवाओं को यूनिक कोड या बार कोड के माध्यम से पहचाना जा सकता है, दवा नकली है या फिर असली!
इस ओर देश में स्वास्थ्य विभाग उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है, इसी कड़ी में एक खबर उत्तराखंड से आई है, जहा सरकार ने 300 से अधिक जरूरी दवाओं में बार कोड अनिवार्य कर दिया है। राज्य के औषधि विभाग ने दवा कंपनियों सहित दुकानदारों के लिए सख्ती के साथ आदेश पालन करने की हिदायत दी हैं।
Identify fake medicines
आदेश के बारे में जानकारी देते हुए उत्तराखंड ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि,
“उत्तराखंड के सभी होलसेल और रिटेल मेडिकल स्टोर में बिना बार कोड के दवाइयों का निर्माण और बेचना दोनों ही अपराध होगा ऐसे करते पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के ऊपर सख्त कार्रवाई की जायेगी।”
साथ ही ऐसे मेडिकल स्टोर जिनके पास बिना बार कोड की दवाइयों का स्टॉक मौजूद है,उन्हे उन दवाइयों को हटाना होगा। राज्य में सभी जिला ड्रग इंस्पेक्टरो को निर्देश प्रदान किया गया है, वह ज़िले में मौजूद सभी मेडिकल स्टोर में बार कोड वाली दवाइयों का बिकना सुनिश्चित करें, बिना बार कोड वाली दवाइयों को सील कर दिया जाए।
नियमों का पालन करवाने के लिए राज्य में सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर को विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए है बता दे, राज्य में तकरीबन 18 हजार के करीब होलसेल और रिटेल दवा विक्रेता मौजूद है, सभी को आदेश समान रूप से पालन करना अनिवार्य होगा।
ड्रग कंट्रोलर की जनता से अपील
राज्य में दवा खरीदने वाले उपभोक्ताओं से ड्रग कंट्रोलर ताजवर जग्गी ने अपील की है, वह दवा खरीदने के समय दवाओ में बार कोड सहित दवा की उचित जांच करके ही ले साथ ही यादि कोई दुकानदार बिना बार कोड की दवाइयों की बिक्री करता हुआ आपको मिलता है इसकी जानकारी औषधि विभाग को दे, इसके लिए जल्द एक ट्रोल फ्री नम्बर चालू किया जायेगा।
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दवा दुकान से दवाइयों को खरीदते समय बार कोड को स्कैन करके उससे संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त हो जाती है,यादि बार कोड में जानकारी प्रदान नही होती है तो ऐसी दवाइयों के नकली होने की संभावना होती है।