Ayodhya chartered plane parking crisis:अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का दिन जैसे जैसे करीब आ रहा है, इसे लेकर देश में लोगों की उत्सुकता बढ़ रही है। अयोध्या नगरी 22 जनवरी को वीआईपी मूवमेंट का बड़ी जगह बनने जा रही है, जहा अनुमानित कई हेलीकॉप्टर, प्लेन प्राइवेट जेट के माध्यम से वीआईपी श्रद्धालु और दर्शक पहुंचने वाले है।
इन्हीं सब तैयारियों में देश का नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने लगा हुआ है, वीआईपी मेहमानों के निजी और चार्टर्ड विमानों की पार्किंग के लिए मंत्रालय ने पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में 12 एयरपोर्ट्स को चुना है, जहां इन विमानों को पार्क किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में नव निर्मित हवाई अड्डा महर्षि वाल्मीकि में केवल चार पार्किंग स्थल हैं, जो कि सिंगल-आइल जेट विमानों के लिए है।
Ayodhya chartered plane parking crisis
इसमें से एक प्रधानमंत्री के विमान इंडिया वन के लिए रखा गया है और निकलकर आई जानकारी के अनुसार इंडिया वन के महार्षि वाल्मीकि अयोध्या हवाई अड्डे में उतरने के बाद किसी अन्य विमानों को उतरने की परमिशन नही होगी।
इस स्थिति में अतिरिक्त व्यवस्था के तौर में 1,000 किलोमीटर की दूरी के भीतर 12 हवाई अड्डों को पार्किंग स्थान शेयर करने के लिए कहा गया है, जहां विमान रात तक रुक सकते हैं।
इन वैकल्पिक व्यवस्था में पांच राज्यों के हवाई अड्डों को शामिल किया गया है, जिसमें प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी, कुशीनगर, गोरखपुर, गया, खजुराहो, जबलपुर, भोपाल, देहरादून, लखनऊ और देवघर शामिल हैं।
वाराणसी हवाई अड्डे में भी पार्किंग आरक्षित
21 से 23 तारीख के बीच वाराणसी हवाई अड्डे में 30 से अधिक उड़ानों के लिए पार्किंग आरक्षित की गई है।वाराणसी हवाई अड्डे की वर्तमान सुविधाएं के बारे में कहा गया है, यह 10 बड़े विमानों और एक छोटे विमान के अलावा एक साथ 12 नॉन-शेड्यूल उड़ानों को समायोजित करने में सक्षम है। लैंडिंग के लिए वाराणसी सीमा 900 मीटर दृश्यता पर निर्धारित है।
आसमान में कोहरा बनेगा चुनौती
किसी भी हवाई विमान के सुरक्षित उतरने के लिए साफ आसमान की आवश्कता होती है, सामान्य स्थितियों में, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और पायलट नक्शे और संकेतों के माध्यम से विमान की गति और दिशा को नियंत्रित करते हैं। जब हवाई अड्डे पर कोहरा छाता है, तो विजिबिलिटी 600 मीटर तक कम हो जाती है ऐसे में एयरपोर्ट अफसरों को कोहरे की चुनौती का सामना भी करना पड़ रहा है हालांकि वाराणसी में यह सीमा 900 मीटर दृश्यता पर निर्धारित है, इसलिए भी यह एक वैकल्पिक व्यवस्था के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
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गौरतलब है, नजदीकी हवाई अड्डों में अधिकांश विमानों को लोकल लेवल पर समायोजित करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, किसी भी तरह के ओवरफ्लो के मद्देनजर विमानों को लखनऊ और गोरखपुर की ओर भी भेजा जा सकता है।