संपादक, न्यूज़NORTH
Sales Of Small Cars Declined, But SUVs Up?: हम सब जानते हैं कि बीतें कुछ सालों से भारत समेत दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के लिहाज से हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। हाल-फिलहाल में तमाम विशेषज्ञ मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, संभावित मंदी का भी जिक्र करते रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में एक दिलचस्प पैटर्न देखनें को मिल रहा है।
हाल में कुछ ऐसे आँकड़े सामने आए हैं, जिससे पता चलता है कि त्योहारी सीजन के पास होने के बावजूद भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में छोटी कारों की माँग में कमी आई है, जबकि एसयूवी (SUVs) व महँगें कारों के सेगमेंट में पर्याप्त वृद्धि देखनें को मिल रही है।
दिग्गज कार निर्माता बन रहे बदलाव के गवाह
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय कार बाजार में एक व्यापक हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने देश के भीतर अपनी योजनाओं में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। कंपनी अब बाजार में माँग के अनुरूप गाड़ियों का प्रोडक्शन करेगी, जिसके तहत इंट्री लेवल की कारों के उत्पादन में कटौती करते हुए, अधिक बिक रहे यूटिलिटी वाहनों और एसयूवी सेगमेंट के मजबूत लाइनअप पर फोकस बढ़ाया जाएगा।
इसके पीछे की एक बड़ी वजह यह है कि हाल के दिनों में दिग्गज कार निर्माता ने भारत में छोटे वाहनों की बिक्री में तुलनात्मक रूप से गिरावट दर्ज की है। कंपनी की छोटी कारों की बिक्री में जहाँ मंदी है, वहीं ब्रेजा, ग्रैंड विटारा और फ्रोंक्स जैसे एसयूवी लाइनअप की माँग में तेजी बरकरार है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छोटी या एंट्री लेवल कारों की बिक्री में आई गिरावट के संभावित कारणों को लेकर कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कहा गया;
“पिछले कुछ सालों में कारों की लागत में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन एंट्री लेवल सेगमेंट में बढ़ती लागत की तुलना में ग्राहकों की आय में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में उम्मीद यही की जा रही है कि आने वाले समय में ग्राहक वर्ग की आय बढ़ेगी और छोटी/एंट्री लेवल कारों का बाजार फिर पहले के स्तर पर पहुँच सकेगा।”
Sales Of Small Cars Declined: FADA ने इन्वेंट्री को लेकर जताई चिंता
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) की ओर से हाल ही में भारत में कार निर्माताओं को अपनी इंन्वेंट्री क्लियर करने की सलाह दी गई है। इस दौरान अक्टूबर 2023 में गाड़ियों की खुदरा बिक्री में 7.73% तक की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले महीने ऑटोमोबाइल बाजार में खुदरा बिक्री का आँकड़ा लगभग 21,17,596 यूनिट्स रहा, जो अक्टूबर 2022 में 22,95,099 यूनिट्स था।
FADA की ओर से मुख्य चिंता पैसेंजर व्हीकल (PV) इन्वेंट्री को लेकर जताई गई है। सामने आई जानकारी के अनुसार, पैसेंजर व्हीकल बिक्री में सालाना आधार पर 1.4% की गिरावट देखी गई, और कुल बिक्री आँकड़ा 3.54 लाख यूनिट्स गया। एसोसिएशन के अनुसार, पैसेंजर व्हीकल इन्वेंट्री 63 से 66 दिनों तक पहुँचते हुए, अपने शीर्ष स्तर को छूती नजर आ रही है।
The Core Report नामक पॉडकास्ट शो पर की गई बातचीत के दौरान, FADA प्रेसिडेंट मनीष राज सिंघानिया ने बताया कि 30 दिनों से अधिक की कोई भी इन्वेंटरी डीलरों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देती है।
ऐसे में FADA की ओर से कार निर्माताओं को यह सलाह दी गई कि वह अपने व्हीकल डिस्पैच को कम करते हुए, त्योहारी सीजन के दौरान आकर्षक योजनाओं के सहारे इन्वेंट्री को कम करने का प्रयास करें। हालाँकि पॉडकास्ट में मनीष राज ने यह स्वीकार कि तुलनात्मक रूप से एसयूवी कारों की माँग बरकरार है और महिंद्रा स्कॉर्पियो व अन्य कारों की माँग बेहतर स्तर पर बनी हुई है।
वैसे यह उम्मीद जताई जा रही है कि त्योहारों के चलते बिक्री में उछाल देखनें को जरूर मिल सकता है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या यह उछाल त्योहारों के बाद भी बना रहेगा?
Sales Of Small Vehicles (Cars & Two-Wheelers) Declined: टू-व्हीलर सेल में भी आई गिरावट?
अक्टूबर 2023 में वाहन बिक्री के आँकड़ो की बात करें तो एक ओर पैसेंजर वाहन बिक्री में जहाँ सलाना तौर पर 1.4% की गिरावट दर्ज की गई, वहीं टू-व्हीलर बिक्री का हाल भी अच्छा नहीं रहा, और इस सेगमेंट में साल-दर-साल के लिहाज से 12.6% की गिरावट देखनें को मिली।
क्या आँकड़े दर्शाते हैं अर्थव्यवस्था का हाल?
बाजार में मौजूदा ट्रेंड को देखते हुए, जानकारों का कहना है कि एंट्री लेवल या छोटी कारों का ग्राहक आधार भारत में हमेशा ही सबसे अधिक रहा है, लेकिन मौजूदा वित्तीय चुनौतियों के बीच, फिलहाल बाजार में इस उपयोगकर्ता वर्ग के बीच एक प्रकार की हिचक देखी जा रही है। इसके कुछ मुख्य संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे आय में कमी या पर्याप्त वृद्धि ना होना और महँगाई दर में बढ़ोतरी आदि।
वहीं महँगी गाड़ियों की बढ़ती बिक्री के आँकड़ो को देखते हुए, कुछ विशेषज्ञ इस बात की भी आशंका व्यक्त करते हैं कि कहीं भारत के निम्न/मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के बीच आय विषमता की खाई बढ़ती तो नहीं जा रही है?