संपादक, न्यूज़NORTH
NCERT Panel Recommends Replacing ‘India’ with ‘Bharat’: बीतें कुछ महीनों से देश के लिए ‘इंडिया’ (India) या ‘भारत’ (Bharat) शब्द में से किसका इस्तेमाल किया जाए, इसको लेकर काफी चर्चा हुई। असल में विपक्षी दलों द्वारा I.N.D.I.A. नामक गठबंधन बनाए जाने के बाद से ही मूल रूप से यह बहस शुरू हुई। और अब इसका असर अन्य जगहों पर भी दिखने लगा है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को संशोधित करने के मकसद से बनाए गए पैनल ने अब यह सुझाव दिया है कि सभी एनसीईआरटी की सभी पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ (India) शब्द को ‘भारत’ से बदल देना चाहिए।
बता दें यह सुझाव सात सदस्यों वाली ‘सामाजिक विज्ञान समिति-2022’ द्वारा दिया गया है। सामने आ रही जानकारी के अनुसार, इन सुझावों को अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है। इसकी जानकारी खुद समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सी.आई. इसाक द्वारा दी गई, जो एक इतिहासकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं।
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NCERT की किताबों में ‘India’ की जगह दिखेगा ‘Bharat’ शब्द
उन्होंने बताया कि समिति द्वारा सर्वसम्मति से की गई इस सिफारिश का उल्लेख सामाजिक विज्ञान पर ‘फाइनल स्टेटस रिपोर्ट’ में है, जो नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के विकास की नींव रखने में अहम भूमिका अदा करेगी। उन्होंने आगे कहा;
“भारत सदियों पुराना नाम है। ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, जो 7,000 साल से अधिक पुराने हैं।”
“वहीं ‘इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना और 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद ही किया जाने लगा था। इसलिए, समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों की किताबों में ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।”
बता दें भारत के संविधान के अनुच्छेद 1(1) में पहले से ही यह वर्णित है कि “इंडिया, जो कि ‘भारत’ है, राज्यों का एक संघ होगा।”
NCERT समिति ने और भी सिफारिशें
इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एनसीईआरटी पैनल की ओर से किताबों में ‘प्राचीन इतिहास’ की जगह ‘शास्त्रीय इतिहास’ या ‘क्लासिक हिस्ट्री’ लिखने की सिफारिश की गई है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन भागों – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित किया गया था, जो भारत को अंधकार में वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दर्शाता है। लेकिन उस युग में भारत की उपलब्धियों जैसे आर्यभट्ट का सौर मंडल मॉडल आदि को शामिल नहीं किया गया। इसलिए हमने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्यकालीन और आधुनिक काल के साथ स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।